अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या है? अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे और नुकसान क्या है?

आज हम जानेंगे अनुलोम विलोम प्राणायाम की पूरी जानकारी (Anulom Vilom Pranayam) के बारे में क्योंकि आप ने बाबा रामदेव को टीवी पर अनेक प्रकार के योगासन करते हुए देखा होगा और आप भी उनके द्वारा बताए गए योगासन को करते होंगे परंतु आपको शायद ही यह पता होगा कि जो योगासन बाबा रामदेव करते हैं उनके नाम क्या है। बता दे कि बाबा रामदेव अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए अनेक प्रकार के योगासन करते हैं।

इसके अलावा वह कुछ ऐसी क्रिया भी करते हैं जो कुछ ही देर के अंदर उन्हें अच्छे स्वास्थ्य से संबंधित फायदे देती है। बाबा रामदेव के द्वारा ही एक अनुलोम विलोम प्राणायाम किया जाता है। अब यह अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या होता है इसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। आज के इस लेख में जानेंगे कि Anulom Vilom Pranayam Benefits in Hindi, अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या है, आदि की सारी जानकारीयां विस्तार में जानने को मिलेंगी, इसलिये पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढे़ं।

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अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या है? – What is Anulom Vilom Pranayam

Anulom Vilom Pranayam In Hindi
Anulom Vilom Pranayam In Hindi

अनुलोम विलोम प्राणायाम आज से ही नहीं बल्कि बहुत ही प्राचीन काल से किया जाने वाला एक योगाभ्यास है जो कि मुख्य तौर पर इंसानों की सांस लेने की क्रिया से जुड़ा हुआ होता है। पहले के समय में ऋषि मुनि निरोगी रहने के लिए और अपने आप को स्वस्थ बनाए रखने के लिए अनेक प्रकार के आसन करते थे। अनुलोम-विलोम भी एक ऐसी क्रिया है, जो बैठ करके की जाती है। इसमें सांस को अंदर बाहर निकाला जाता है।

अंग्रेजी भाषा में अनुलोम-विलोम को नॉस्ट्रिल ब्रीथिंग एक्सरसाइज कहकर बुलाया जाता है। इस क्रिया में आपको अपनी एक नाक पर उंगली रख कर के उसे बंद करना होता है और दूसरी नाक से सांस खींचनी होती है। उसके बाद आपको दूसरी नाक पर उंगली रख कर के उसके छेद को बंद करना होता है और दूसरी नाक से सांस खींचनी होती है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे – Anulom Vilom Pranayam Benefits in Hindi

अनुलोम विलोम प्राणायाम के बारे में जानते तो सभी हैं परंतु बहुत कम ही लोगों को यह पता होता है कि इस क्रिया को करने से स्वास्थ्य से संबंधित कौन से फायदे होते हैं। चलिए आगे आपको बताते हैं अनुलोम विलोम प्राणायाम करने के एडवांटेज क्या है।

1. डायबिटीज में अनुलोम विलोम के फायदे

अनुलोम विलोम की क्रिया अगर कोई बंदा रोजाना 5 से 10 मिनट तक करता है तो इससे उसकी बॉडी के अंदर जो खून होता है उसके अंदर जो ग्लूकोज होता है उसका लेवल घटता है और जब बॉडी में मौजूद खून के अंदर ग्लूकोज का लेवल घटता है तो इससे डायबिटीज के रोगियों को राहत मिलती है। यह डायबिटीज 2 में भी फायदेमंद है। इसलिए रोजाना सुबह के समय में अनुलोम-विलोम अवश्य करें।

2. गठिया में अनुलोम विलोम के फायदे

रोजाना अनुलोम विलोम करने से जोड़ों का जो दर्द होता है वह भी कम होने लगता है। इसके अलावा बॉडी में जो ऐठन होती है वह भी धीरे-धीरे चली जाती है। इसके साथ ही अगर कोई व्यक्ति रोजाना अनुलोम-विलोम करता है तो गठिया जैसी बीमारी में भी उसे राहत की प्राप्ति होती है।

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3. माइग्रेन में अनुलोम विलोम के फायदे

माइग्रेन की समस्या में किसी व्यक्ति का या तो पूरा सर दर्द करता है या फिर उसका आधा सर दर्द करता है, जो बहुत ही पीड़ादायक होता है। इसे दूर करने के लिए अनुलोम विलोम करना चाहिए। यह सर दर्द को कम करने का काम करता है। इससे माइग्रेन की प्रॉब्लम में राहत मिलती है।

4. एकाग्रता बढ़ाए अनुलोम विलोम

अगर आप स्कूल में पढ़ते हैं या फिर आप कॉलेज में पढ़ते हैं और आपको पढ़ा हुआ याद नहीं रहता है तो अनुलोम विलोम करना आपको आज से ही चालू कर देना चाहिए, क्योंकि यह आपका फोकस तेज करता है, जिसके कारण आपके याद करने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है और जो आप जो भी पढ़ते हैं, वह आपको लंबे समय तक याद रहता है।

5. वजन कम करें अनुलोम विलोम

अनुलोम विलोम करने से पेट के आसपास के हिस्से में जो चर्बी होती है वह भी घटती है और यह इसलिए होता है कि जब आप अनुलोम विलोम करते हैं तो यह चर्बी की क्वांटिटी को बढ़ाने वाले तत्वों पर कंट्रोल करता है, जिससे आपका मोटापा घटता है।

6. कब्ज दूर करता है अनुलोम-विलोम

कब्ज की समस्या में हम जो भी खाना खाते हैं, उसका पाचन सही से नहीं होता है और वह खाना ऐसे ही पेट में पड़ा रहता है। इसे दूर करने के लिए अनुलोम विलोम करना चाहिए। यह बॉडी के डाइजेस्टिव सिस्टम को अच्छा करता है और इससे खाने का पाचन सही ढंग से होता है।

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7. जहरीले तत्व बाहर निकाले अनुलोम विलोम

रिसर्च में यह बात सामने निकल कर के आई है कि रोजाना अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से हमारी बॉडी में जो जहरीले तत्व होते हैं, वह इसे धीरे-धीरे बाहर निकालने का काम करता है। इससे हमारे पेट से संबंधित समस्याएं कम होती है, साथ ही हमारे पेट की इम्युनिटी भी बढ़ती है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम कैसे करें?

  1. जिस जगह पर आप अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करना चाहते हैं, सबसे पहले वहां पर एक साफ चटाई या फिर दरी बिछा दें।
  2. अब इसके बाद अपने दोनों पैरों को आपस में मोड करके चटाई के ऊपर या फिर दरी के ऊपर बैठ जाएं।
  3. अब अपनी कमर को बिल्कुल सीधा रखें, जैसे आर्मी के जवान रखते हैं।
  4. अब अपने एक हाथ की उंगली से अपने नाक के एक छेद को बंद करें और दूसरे छेद से धीरे-धीरे सांस लें। जब सांस अंदर खींच ले तब धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  5. अब जिस नाक से आपने सांस ली है उस नाक के छेद को बंद करें और दूसरी नाक से धीरे-धीरे सांस लें और उसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ दें।
  6. यह क्रिया लगातार आपको 9 से 10 बार करनी है। यही अनुलोम विलोम प्राणायाम करने का सही तरीका है। इसे करने की टाइमिंग आप अपने हिसाब से बढा भी सकते हैं।

अनुलोम विलोम प्राणायाम के नुकसान क्या है? – Anulom Vilom Pranayam Side Effects in Hindi

वैसे तो अभी तक अनुलोम विलोम प्राणायाम करने के नुकसान किसी भी व्यक्ति में नहीं देखे गए हैं परंतु इसके कुछ ना कुछ संभावित नुकसान अवश्य हो सकते हैं। बात करें अगर इसके नुकसान की तो जिन लोगों को सांस की प्रॉब्लम है, उन्हें अनुलोम विलोम प्राणायाम को नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें बार-बार सांस लेना और छोड़ना पड़ता है। इससे उन्हें सांस फूलने की समस्या हो सकती है। जिन लोगों को अस्थमा की बीमारी है उन्हें भी इसे नहीं करना चाहिए।

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इसके अलावा जो लोग फेफड़ों से संबंधित समस्या से परेशान हैं, उन्हें भी अनुलोम विलोम प्राणायाम नहीं करना चाहिए। ऐसे लोगों को भी इसे नहीं करना चाहिए जिन लोगों को जोड़ो का दर्द है, क्योंकि इसमें पैरों को मोड़कर के बैठना होता है। इसलिए उन्हें अत्यधिक दर्द महसूस हो सकता है। रीड की हड्डी के रोग वाले लोगों को भी इसे नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें रीढ़ की हड्डी को सीधी रखना पड़ती है, इसलिए उन्हें दर्द हो सकता है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम कितने समय तक करना चाहिए?

बात करें अगर अनुलोम विलोम प्राणायाम की टाइमिंग के बारे में तो इसे कितनी देर तक आना चाहिए, यह आप अपने हिसाब से डिसाइड कर सकते हैं। अगर आप इसे आधे घंटे करना चाहते हैं तो आप इसे आधे घंटे कर सकते हैं। अगर आप इसे 1 घंटा करना चाहते हैं तो आप इसे 1 घंटा कर सकते हैं।

हालांकि अधिक देर तक एक ही आसन में बैठे रहने से आपके पैरों में जकड़न आ सकती है या फिर आपके पैरों में दर्द हो सकता है। इसलिए 1 बार में 10 मिनट तक इसे करने के बाद उठकर के यहां वहां टहले  और उसके बाद फिर से बैठ कर के इस आसन को करें और फिर से थोड़ी देर के लिए आराम कर ले और फिर से इसे करें।

अनुलोम विलोम प्राणायाम से संबंधित टिप्स

  • इस प्राणायाम को करने के लिए आपको शांत जगह का चयन करना चाहिए।
  • इसे गार्डन में भी किया जा सकता है साथ ही घर की बालकनी या फिर घर की छत पर किया जा सकता है।
  • अनुलोम विलोम करने के लिए सुबह का समय अच्छा माना जाता है। इसीलिए कोशिश करें कि इसे सुबह के समय ही करें।
  • अनुलोम विलोम प्राणायाम चालू करने से पहले इसे करने का सही तरीका अवश्य जान ले।
  • इस प्राणायाम का पूरा फायदा पाने के लिए अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें।
  • अनुलोम विलोम प्राणायाम को भूखे पेट करना ही सही बताया गया है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या अनुलोम विलोम खतरनाक है?

नहीं यह खतरनाक नहीं है परंतु जिन्हें सांस की प्रॉब्लम है उन्हें इसे नहीं करना चाहिए, वरना उन्हें नुकसान हो सकता है।

अनुलोम विलोम करने के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है?

इसे करने के लिए सबसे अच्छा समय सुबह का समय माना जाता है, क्योंकि सुबह का वातावरण शांत होता है। इसलिए आप पूरा फोकस लगा करके इसे कर सकते हैं।

क्या योगा क्लास में अनुलोम-विलोम सिखाया जाता है?

जी हां योगा क्लास में इसके बारे में सिखाया जाता है।

क्या हम रात को सोने से पहले अनुलोम-विलोम कर सकते हैं?

जी हां रात को सोने से पहले इसे आप कर सकते हैं परंतु याद रखें कि खाना खाने के आधे घंटे के बाद इसे करके फिर सोंए।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में आपने जाना की अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या है? और अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे और नुकसान (Anulom Vilom Pranayam in Hindi) इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद भी अगर आपके मन में अनुलोम विलोम प्राणायाम को लेकर कोई सवाल उठ रहा है तो आप नीचे Comment करके पूछ सकते हैं। हमारी विशेषज्ञ टीम आपके सभी सवालों का जवाब देगी।

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Akanksha Shree
आकांक्षा श्री ने पटना वीमेंस कॉलेज से इंग्लिश ऑनर्स में बैचलर्स और ट्रेवल एंड टूरिज्म में सर्टिफिकेशन कोर्स किया है। इन्होंने वर्ष 2023 में अपने करियर की शुरुआत स्वास्थ्य आधारित वेब पोर्टल से की थी। अब तक इनके 50+ से भी ज्यादा आर्टिकल प्रकाशित हो चुके हैं।

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