रागी क्या होता है? रागी (Finger Millet) के फायदे, प्रकार, उपयोग, नुकसान, आदि से जुड़ी सभी जानकारी – Finger Millet in Hindi

आज हम जानेंगे रागी के फायदे और नुकसान की पूरी जानकारी (Finger millet in Hindi) के बारे में क्योंकि रागी एक ऐसा न्यूट्रिएंट रिच ग्रेन हैं, जो लोगों को एनर्जी प्रोवाइड करता हैं, और उनकी लाइफस्टाइल को हेल्दी रखने के लिए काफी हेल्प करता है। रागी में न्यूट्रिएंट्स का कंटेंट काफी अच्छा है, जो ह्यूमन बॉडी के लिए काफी तरह से बेफिशियल है। रागी अपने न्यूट्रिएंट कंटेंट की वजह से बहुत सी बीमारियों में भी काफी बेनिफिशियल हो जाता है।

अनाज और साग सब्जी यह दोनों ऐसी चीजें हैं जो हमारे शरीर को ताकतवर बनाती हैं। अनाज की बात आती है तो रागी को हम कैसे भूल सकते हैं। रागी के कई हेल्थ बेनिफिट है। इसीलिए इसे भोजन में अवश्य शामिल किया जाना चाहिए। आज के इस लेख में जानेंगे कि Ragi Kya Hai, रागी के फायदे, Ragi in Hindi, रागी के नुकसान, Ragi meaning in Hindi, आदि की जानकारीयां पूरा डिटेल्स में जानने को मिलेगा, इसलिये इस लेख को सुरू से अंत तक जरूर पढे़ं।

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रागी क्या होता है? – What is Finger Millet in Hindi

Finger Millet In Hindi
Finger Millet In Hindi

रागी को इंग्लिश में फिंगर मिलेट (Finger Millet) कहते है। रागी का साइंटिफिक नेम एलियूसिन कोरकाना (Eleusine coracana) हैं। रागी का हिंदी में मेढुवा और नाचनी के नाम से भी जाना जाता है। रागी को सुपरफूड का टैग भी दिया गया है।  रागी रोजाना खाएं जाने वाले अनाजों की ही एक प्रजाति है, जिसे स्पेशली इंडिया, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, और अफ्रीका में कुछ स्पेसिफिक जगहों पर उगाया जाता है। इंडिया में रागी की खेती ज्यादातर दक्षिण भारत में की जाती है।

रागी के पौधे की ऊंचाई लगभग 2 से 3 फीट होती है। रागी के पौधे पर गेहूं की बालियों की तरह ही रागी की बालियां लगती हैं। रागी साइज में काफी छोटा होता हैं, और इस का रंग लाल होता है। रागी की खेती लेस फरटाइल लैंड यानी कम उपजाऊ मिट्टी में भी अच्छे से हो जाती है। रागी की खेती के लिए ज्यादा पानी की रिक्वायरमेंट नही होती है। हालांकि रागी की खेती ड्राई लैंड और हेवी रेन लैंड पर की जा सकती हैं। रागी में न्यूट्रिशन काफी हाई क्वांटिटी में होता है।

रागी में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, और फोस्फोरस जैसे विटामिंस और मिनरल्स का कंटेंट काफी अच्छा होता है। रागी में फाइबर का कंटेंट और अमीनो एसिड भी लगी अच्छी क्वांटिटी में होते है। रागी डाइजेशन को अच्छा करने, हाई ब्लड प्रेशर को मैनेज करने, बोंस और दातों को हेल्दी रखने का काफी अच्छा काम करता है। रागी ग्लूटेन फ्री ग्रेन है, यानी जो लोग ग्लूटेन एलर्जिक होते है, वो भी रागी का सेवन कर सकते हैं। ग्लूटेन एलर्जिक लोग वेट (Wheat), बार्ले (Barley) और इनका आटा नही खा सकते है, वही ये लोग रागी का आटा खा सकते है।

ग्लूटेन एलर्जिक लोगों को सेलिएक डिजीज (Celiac Disease) पेशेंट कहा जाता हैं। रागी खाना ह्यूमन बॉडी को बहुत से हेल्थ बेनिफिट देता है। साउथ इंडिया में रागी से बनने वाले फूड प्रोडक्ट्स काफी पसंद किए जाते है। इसके अलावा आज मार्केट में बहुत से ब्रांड रागी को लेकर नए नए प्रोडक्ट्स लॉन्च कर रहे है। इनमे रागी आटा, रागी चिप्स, रागी डोसा मिक्स, रागी इडली मिक्स, रागी पॉरिज, रागी उपमा मिक्स जैसे बहुत से फूड प्रोडक्ट्स है। रागी के न्यूट्रिएंट्स कंटेंट, यूनिक ग्रेनी टेक्सचर और फ्लेवर की वजह से इन्हें काफी पसंद भी किया जा रहा है।

रागी की हिस्ट्री – History of Finger Millet in Hindi

रागी की हिस्ट्री के बारे में बात की जाए, तो रागी की हिस्ट्री लगभग 5000 साल पहले आयरन एज (Iron Age) के स्टार्टिंग से देखने को मिलती है। उस समय रागी ईस्टर्न अफ्रीका के हाइलैंड्स (वेस्टर्न यूगांडा से इथियोपिया तक) एक वाइल्ड वीड (जंगली खरपतवार) के रूप में होती थी। हालांकि उसी समय रागी का डोमेस्टिकेशन करके उसकी खेती भी की जाने लगी थी। रागी को अफ्रीका की सबसे पुरानी डोमेस्टिकेटेड ट्रॉपिकल सीरियल भी माना जाता है।

इंडिया में भी रागी की काफी पुराने समय से की जा रही है। इंडिया में रागी की खेती लगभग 2000 BCE में हरप्पन सिविलाइजेशन या इंडस वैली सिविलाइजेशन से देखने को मिलती है। हालांकि आर्कियोलॉजिकल रिकॉर्ड्स रागी को लेकर अफ्रीकन ओरिजिन के बारे में ज्यादा बताते है। रिकॉर्ड्स के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि लगभग 3000 साल पहले रागी ईस्टर्न अफ्रीका से पहले इंडिया पहुंची और उसके बाद लगभग 1000 साल पहले रागी सदर्न अफ्रीका पहुंची। समय बीतने के साथ रागी धीरे धीरे अफ्रीका के सभी पार्ट्स और दूसरे कई देशों में पहुंची।

रागी के बारे में यह माना जाता है, यह अफ्रीका से जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसी गर्म जगहों पर भी पहुंची। इंडिया में उगाई जाने वाली रागी अफ्रीका में उगाई जाने वाली रागी से काफी मिलती है, इससे भी यह माना जाता हैं, कि रागी की शुरुआत अफ्रीका से ही हुई। इंडिया में उगाई जाने वाली रागी अफ्रीका में मिलने वाली ई. कोरकाना सबएसपी (E. coracana subsp.) से सबसे ज्यादा मिलती हैं,

और नॉर्मल वे से देखने पर दोनो जगह उगाई जाने वाली रागी में अंतर बता पाना लगभग न के बराबर हो जाता है। आज के समय में रागी साउथ इंडिया में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु और तेलंगाना में सबसे जगह उगाई जाती हैं। रागी की कल्चरल सिग्निफिकेंस भी काफी है। रागी त्योहारों, पूजा और ट्रेडिशनल सेलिब्रेशन में भी यूज की जाती है।

रागी के प्रकार – Types of Finger Millet in Hindi

सामान्यतः रागी की एनवायरनमेंट के अनुसार और खेती के तरीके के अनुसार कई सारी वैरायटी हो सकती है। नीचे रागी की कुछ सामान्य वैरायटी के बारे मे बताया जा रहा है।

1. इंडियन रागी (Indian Ragi): यह इंडिया में उगाई जाने वाले रागी की एक प्रजाति हैं। इसकी खेती इंडिया में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, और तेलंगाना जैसे राज्यों में की जाती हैं। रागी का इस प्रजाति का यूज मुख्यतः खाने के लिए रोटी, डोसा, उपमा, चिप्स, इडली आदि के रूप में होता है। इसके अलावा इसका यूज एनिमल फीड के लिए भी होता है। रागी की इस प्रजाति का साइंटिफिक नेम एलियूसिन कोरकाना (Eleusine coracana) हैं।

2. अफ्रीकन रागी (African Ragi): रागी की इस प्रजाति को अफ्रीका में उगाया जाता है। यह अफ्रीका में सबसे ज्यादा होने वाली रागी की प्रजाति है। इसका यूज खाने में और एनिमल फीड में किया जाता है। रागी की अफ्रीकन वैरायटी का साइंटिफिक नेम एलियूसिन कोरकाना सबएसपी. अफ्रीकाना (Eleusine coracana subsp. Africana) है।

3. नेपाली रागी (Nepalese Ragi): रागी कि इस प्रजाति की खेती नेपाल में की जाती है। नेपाल के हिमालयन रीजन में इसकी खेती होने की वजह से इसमें नॉर्मल रागी के मुकाबले अलग टेक्सचर और फ्लेवर देखने को मिलते हैं। इसका उसे भी खाने में और एनिमल फीड के लिए किया जाता है। रागी की नेपाली वैरायटी का साइंटीफिक नेम एलियूसिन कोरकाना सबएसपी. हिमालयेंस (Eleusine coracana subsp. Himalayensis) है।

रागी का उपयोग – Uses of Finger Millet in Hindi

रागी के हाई न्यूट्रिएंट कंटेंट की वजह से इसका बहुत सी तरह से यूज किया जाता है। रागी का कलनरी यूज के के साथ ही साथ न्यूट्रीशनल बेनिफिट के लिए यूज किया जाता है।

नॉर्मल यूसेज:

  • रागी को आमतौर पर आटा बनाने के लिए उसे किया जाता हैं, जिससे रोटी डोसा इडली उपमा आदि जैसी डिशेस बनाई जाती है। रागी का फ्लेवर यूनिक और टेक्सचर डेंस होने की वजह से यह डिशेज को नॉर्मल डिशेज से बेहतर बनाता है।
  • इसके अलावा रागी की खिचड़ी भी बनाई जाती है, जिसे ब्रेकफास्ट में खाया जा सकता है।

बेकरी यूसेज:

  • रागी का इसे मुरुक्कू, लड्डू और चकली बनाने में होता है। नॉर्मल ग्रेन के मुकाबला रागी से बनने वाले लड्डू, मुरुक्कू और चकली काफी हेल्दी होते हैं।
  • रागी के आटे का उसे कुकीज केक्स और मफिन जैसे बेकरी प्रोडक्ट्स बनाने में भी किया जाता है। इससे इन बेकरी प्रोडक्ट्स की न्यूट्रीशन वैल्यू भी काफी बढ़ जाती है।

ट्रेडिशनल बेवरेज यूजेस:

  • रागी को फर्मेंट करके उससे माल्ट बेवरेज बनाए जाते हैं। रागी के माल्ट ड्रिंक बेवरेज काफी रीजन में पसंद किया जाता है।
  • रागी के हाई न्यूट्रिशन कंटेंट की वजह से इसका यूज बहुत सी एनर्जी ड्रिंक बनाने में भी किया जाता है।

न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट यूसेज:

  • रागी में कैल्शियम और आयरन के साथ-साथ दूसरे न्यूट्रिएंट्स के हाई कंटेंट की वजह से रागी का यूज छोटे बच्चो के लिए न्यूट्रीशनल फूड सप्लीमेंट बनाने में भी होता है।
  • रागी अमीनो एसिड, विटामिन और मिनरल्स काफी हाई क्वांटिटी में देता है, इस वजह से रागी का यूज डायट्री सप्लीमेंट में भी होता है।
  • रागी ग्लूटेन फ्री होता है, इस वजह से इसका यूज ग्लटूल एलर्जिक लोग या सेलिएक रोग से पीड़ित लोगों के लिए न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट्स बनाने में किया जाता है।
  • रागी का ग्लिसमिक इंडेक्स भी काफी कम होता है, जिस वजह से रागी का यूज डायबिटिक पेशेंट के लिए भी न्यूट्रिशन सप्लीमेंट बनाने में किया जाता है।

एनिमल फीड:

  • रागी की स्ट्रॉ यानी भूषी और बाकी बचे हिस्से को एनिमल फीड के लिए यूज किया जाता हैं। रागी की भूसी में भी न्यूट्रिएंट कंटेंट काफी हाई होता है, जिस वजह से इसको एनिमल फीड के रूप में यूज किया जाता है।

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रागी के फायदे – Benefits of Finger Millet in Hindi

रागी का ग्लिसमिक इंडेक्स काफी लो होता है, जो की डायबिटिक पेशेंट के लिए काफी इंपोर्टेंस रखता है। लो ग्लिसमिक इंडेक्स वाले फूड डायबीटिक पेशेंट्स में ब्लड में शुगर के अब्जॉर्प्शन को धीमा करते हैं, जिससे सदन शुगर स्पाईक नहीं होता हैं, और डायबीटिक पेशेंट्स में ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। रागी में फाइबर भी काफी अच्छी क्वांटिटी में होता है, जो की डाइजेशन को अच्छा करने में मदद करता है।

डाइजेशन के अच्छे रहने से बॉडी में न्यूट्रिएंट्स का अब्जॉर्प्शन भी पहले के मुकाबले काफी अच्छा हो जाता हैं, और बॉवेल मूवमेंट्स (Bowel Movements) भी रेगुलर हो जाते हैं। बॉवेल मूवमेंट्स के रेगुलर रहने से आंतों पर भी इसका असर पड़ता है, और आंतें भी हेल्दी बनी रहती हैं। आंतों के हेल्दी रहने का असर बॉडी के ओवरऑल हेल्थ पर दिखाई देने लगता हैं, क्योंकि खाने से डाइजेशन के बाद न्यूट्रिएंट्स का सबसे ज्यादा अब्जॉर्प्शन आंतों में ही होता है।

रागी के फायदे।
रागी के फायदे

इसके अलावा रागी में मौजूद फाइबर वेट मैनेजमेंट में भी काफी मदद करता है। रागी में फाइबर का हाई कंटेंट होने की वजह से यह पेट को लगता है, जिससे बार-बार भूख नहीं लगती हैं, और ओवरऑल फूड इंटेक्स भी नॉर्मल रहता है। रागी में विटामिन मिनरल और प्रोटीन जैसे न्यूट्रिएंट्स का कंटेंट काफी अच्छा होने की वजह से यह छोटे बच्चों के लिए भी एक हेल्थी और न्यूट्रिशन रिच फूड सप्लीमेंट बन जाता है। बच्चों के डेवलपमेंट के लिए कैल्शियम और आयरन काफी मात्रा में मिलना जरूरी होता हैं, जो की रागी के सेवन से प्रॉपर क्वांटिटी में मिल जाता है।

रागी के ग्लूटेन फ्री होने की वजह से यह ग्लूटेन एलर्जिक और सेलिएक पेशेंट के लिए भी काफी अच्छा काम करती है। रागी में मौजूद कैल्शियम का कंटेंट दूसरे मिनरल्स के साथ मिलकर बॉडी में हड्डियों और दांतों को हेल्दी रखने में काफी कंट्रीब्यूशन करते हैं। इससे ऑस्टियोपोरोसिस होने का रिस्क भी काफी कम हो जाता है। रागी में पोटेशियम का कंटेंट भी कुछ क्वांटिटी में होता है, जो सोडियम के लेवल को कम करके ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करने में काफी मदद करता है।

रागी में मौजूद फाइबर, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट ओवरऑल कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ को हेल्दी रखने में काफी कंट्रीब्यूशन करते हैं, जिससे हार्ट हेल्थ भी बनी रहती है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर मेंटेन रहने से हार्ट पर प्रेशर कम पड़ता हैं, और हार्ट अटैक का रिस्क भी काफी कम हो जाता है। रागी में बॉडी के लिए एसेंशियल अमीनो एसिड भी काफी अच्छी क्वांटिटी में होते हैं, जो कि इसको एक कंपलीट प्रोटीन सोर्स बनाते हैं। इस वजह से रागी वेगन लोगों के लिए भी प्लांट बेस्ड प्रोटीन का काफी अच्छा काम करता है।

1. पुरुषों के लिए रागी के फायदे

रागी का सेवन करने से पुरुषों में बहुत सी तरह के हेल्थ बेनिफिट्स देखने को मिलते हैं, जो उनकी हेल्थ को सुधारने में काफी मदद करते हैं। रागी में आयरन का कंटेंट काफी अच्छा होता है, जो की बॉडी में हेल्दी ब्लड लेवल्स को मेंटेन रखने में काफी मदद करता है। प्रॉपर क्वांटिटी में आयरन का इंटेक बॉडी में एनीमिया यानी खून की कमी होने से बचाता है। रागी में बॉडी के लिए एसेंशियल अमीनो एसिड भी काफी अच्छी क्वांटिटी में होते हैं, जो कि रागी को प्रोटीन का काफी अच्छा सोर्स बनाते हैं।

बॉडी में मसल्स के डेवलपमेंट और रिपेयर प्रोसेस के लिए प्रोटीन काफी जरूरी होता है। ऐसे लोग जो की डेली फिजिकल एक्टिविटीज और फिटनेस रूटीन करते हैं, उनके लिए रागी का सेवन काफी बेनिफिशियल हो जाता है।रागी में कैल्शियम का कंटेंट भी काफी अच्छा होता है, जो की बोन हेल्थ के लिए काफी जरूरी होता है। कैल्शियम पुरुषों के लिए काफी एसेंशियल होता हैं, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ बोन डेंसिटी में कमी आती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है।

ऑस्टियोपोरोसिस में बोन डेंसिटी कम होती जाती है, जिससे बोन फ्रैक्चर होने का रिस्क काफी बढ़ जाता है। रागी में कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होने की वजह से यह बॉडी को एनर्जी भी काफी अच्छी क्वांटिटी में प्रोवाइड करती है। रागी को अपने डेली डायट में शामिल करने से पुरुषों की लाइफस्टाइल में काफी बेनिफिट्स देखने को मिलते हैं। रागी में मौजूद मैग्नीशियम कंटेंट ब्लड प्रेशर लेवल को हेल्दी रखकर और कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करके ओवरऑल कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ में कंट्रीब्यूट करते हैं, जिससे हार्ट रिलेटेड इश्यूज का रिस्क काफी कम हो जाता है।

रागी में मौजूद फाइबर डाइजेशन को अच्छा रखता है, जिससे बॉडी में न्यूट्रिएंट्स का अब्जॉर्प्शन भी काफी अच्छा हो जाता है। इससे बॉवेल मूवमेंट्स भी रेगुलर हो जाते हैं। बॉवेल मूवमेंट्स के रेगुलर हो जाने से आंतों की हेल्थ भी सुधरने लगती है। आंतों के हेल्दी रहने से इसका असर बॉडी की ओवरऑल हेल्थ पर भी देखने को मिलता है, क्योंकि डाइजेशन के दौरान पेट में न्यूट्रिएंट्स का अब्जॉर्प्शन हो जाने के बाद आंतों में ही बचे हुए न्यूट्रिएंट्स का अब्जॉर्प्शन होता है।

इसके साथ ही रागी का हाई फाइबर कंटेंट वेट मैनेजमेंट में भी काफी मदद करता है, क्योंकि रागी के खाने से पेट भरा रहता है। जिससे भूख कम लगती हैं, और ओवरऑल फूड इनटेक कंट्रोल में रहता है।रागी में मौजूद पॉलिफिनॉस जैसे एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं, जिससे ओवरऑल हेल्थ में काफी बेनिफिट्स देखने को मिलते हैं। रागी का ग्लिसमिक इंडेक्स काफी कम होता है, जो की डायबिटिक पेशेंट के लिए काफी अच्छा काम करते हैं।

लो ग्लिसमिक इंडेक्स वाले फूड डायबीटिक पेशेंट्स में ब्लड में शुगर के घुलने के प्रोसेस को काफी धीमा कर देते है,जिससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। कुछ स्टडीज यह भी बताती है,कि रागी जैसी कुछ ग्रेन्स प्रोस्टेट हेल्थ के लिए काफी बेनिफिशियल होती हैं। बढ़ती उम्र के साथ पुरुषों में प्रोस्टेट हेल्थ का हेल्दी रहना काफी मायने रखता है। इन सबके अलावा रागी का न्यूट्रिएंट रिच होना बॉडी को हेल्दी रखने के साथ-साथ बॉडी फंक्शन को भी प्रॉपर रखने में मदद करता है।

2. महिलाओं के लिए रागी के फायदे

रागी का सेवन करने से महिलाओं में बहुत से हेल्थ बेनिफिट्स देखने को मिलते हैं, जो ओवरऑल बॉडी को हेल्दी रखने में काफी हेल्प करते हैं। महिलाओं में मेंस्ट्रुएशन और प्रेगनेंसी के दौरान एनीमिया यानी खून की कमी काफी देखने को मिलती है। क्योंकि मेंस्ट्रुएशन के दौरान फीमेल बॉडी से ब्लड का लॉस काफी ज्यादा होने लगता हैं, और प्रेगनेंसी के दौरान शिशु के डेवलपमेंट के लिए बॉडी से ब्लड काफी क्वांटिटी में यूट्रस में जाने लगता है।

इन सिचुएशन में रागी का हाई आयरन कंटेंट बॉडी में हीमोग्लोबिन के प्रोडक्शन को बढ़ाता है, जिससे ब्लड में हीमोग्लोबिन की क्वांटिटी बढ़ने लगती हैं, और खून की कमी दूर होने लगती है। रागी का आयरन कंटेंट मेंस्ट्रुएशन के दौरान ब्लड लॉस को रिकवर करने में काफी मदद करता है। महिलाओं में भी कैल्शियम काफी जरूरी होता हैं, क्योंकि यह ऑस्टियोपोरोसिस के रिस्क को काफी कम करता है। खासकर पोस्टमेनोपॉजल महिलाओं में कैल्शियम का इंटेक काफी जरूरी हो जाता है।

रागी का हाई कैलशियम कंटेंट हड्डियों को मजबूत और हेल्दी रखने के लिए काफी इंपॉर्टेंट है। रागी का हाई फाइबर कंटेंट डाइजेस्टिव हेल्थ को अच्छा करके कॉन्स्टीपेशन को खत्म करने में मदद करता है, जिससे बॉवेल मूवमेंट्स रेगुलर हो जाते हैं। रागी का हाई फाइबर कंटेंट पुरुषों की तरह ही महिलाओं में भी वेट मैनेजमेंट में काफी हेल्प करता है। इससे महिलाओं को हेल्दी वेट मेंटेन करने में काफी मदद मिलती है। रागी के लो ग्लिसमिक इंडेक्स होने की वजह से रागी डायबिटीज के मैनेजमेंट में भी काफी मदद करता हैं।

रागी में बॉडी के लिए जरूरी अमीनो एसिड भरपूर मात्रा में होने की वजह से यह प्रोटीन का अच्छा सोर्स भी बन जाता है। प्रोटीन मसल रिपेयर, इम्यून फंक्शन और हार्मोनल बैलेंस को मेंटेन कर रखने में काफी इंपॉर्टेंस रखता है। रागी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके स्किन को भी हेल्दी रखते हैं, जिससे प्रीमेच्योर एजिंग का रिस्क भी काफी कम हो जाता है।

रागी का हाई मैग्नीशियम कंटेंट मसल फंक्शन, नर्व फंक्शन और एनर्जी प्रोडक्शन में कंट्रीब्यूट करके ओवरऑल हेल्थ को मेंटेन रखने में काफी मदद करता है। रागी का मैग्नीशियम कंटेंट प्री मेंस्ट्रूअल सिंड्रोम में भी काफी बेनिफिशियल हो सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान रागी एक न्यूट्रिशस एनर्जी सोर्स का भी काम करता है, जो की आयरन और फोलेट को प्रॉपर क्वांटिटी में प्रोवाइड करता है। रागी में मौजूद कैल्शियम और आयरन का कंटेंट ब्रेस्टफीडिंग के दौरान लेक्टेशन में भी काफी मदद कर सकता है।

3. प्रेगनेंसी में रागी के फायदे

प्रेगनेंसी के दौरान रागी का सेवन करना मां और शिशु दोनों के लिए काफी बेनिफिशियल हो सकता है, क्योंकि इसमें शिशु के डेवलपमेंट के लिए जरूरी न्यूट्रिशन काफी अच्छी क्वांटिटी में होता है। प्रेगनेंसी के दौरान फीमेल बॉडी में ब्लड की कमी काफी तेजी से होने लगती है, जिसकी कमी को रागी में मौजूद आयरन काफी अच्छे से पूरा कर सकता है। रागी में मौजूद आयरन कंटेंट बॉडी में हीमोग्लोबिन के प्रोडक्शन को बढ़ाकर ब्लड में हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करता है।

प्रॉपर क्वांटिटी में आयरन इंटेक शिशु के ऑर्गन डेवलपमेंट में काफी हेल्प करता है। रागी में कैल्शियम की मौजूदगी शिशु की हड्डी और दांतों के डेवलपमेंट में काफी अहम रोल रखता है। इसके साथ ही यह कैल्शियम कंटेंट महिला में बोन्स को हेल्दी रखने में मदद करता है। रागी में फोलेट का कंटेंट भी हाई क्वांटिटी में होता है, जो की प्रेगनेंसी के दौरान काफी एसेंशियल न्यूट्रिएंट है। फोलेट शिशु में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स होने से बचाता है, और न्यूरल ट्यूब के डेवलपमेंट में मदद करता है।

न्यूरल ट्यूब से ही आगे चलकर शिशु के ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड का डेवलपमेंट होता है। प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं में डाइजेशन से जुड़े हेल्थ इश्यूज काफी देखने को मिलते हैं, इन इश्यूज को रागी का हाई फाइबर कंटेंट खत्म करने में काफी मदद करता है। इसके अलावा रागी इररेगुलर बॉवेल मूवमेंट्स से जुड़े डाइजेस्टिव डिस्कम्फर्ट को भी खत्म कर सकता है। रागी प्लांट बेस्ड प्रोटीन का काफी अच्छा सोर्स होता है, जो की शिशु के टिशु और अंग के डेवलपमेंट और ग्रोथ के लिए काफी इंपॉर्टेंट है।

प्रेगनेंसी के दौरान बॉडी में थकावट भी काफी देखने को मिलती है, जो रागी में मौजूद काम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट्स एनर्जी प्रोवाइड करके खत्म करने में मदद कर सकते हैं। रागी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को खत्म करके प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी तरह के इश्यूज जनरेट होने से बचाते हैं। रागी में मौजूद न्यूट्रिएंट्स प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली मॉर्निंग सिकनेस के सिम्टम्स को भी खत्म करने में काफी मदद कर सकते हैं।

4. ब्रेस्टफीडिंग में रागी के फायदे

मां के ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढ़ाने में रागी के फायदे के अनेक फायदे हैं। प्रेग्नेंट महिला और ब्रेस्टफीड कर रही महिला की बॉडी में काफी अंतर होता है, क्योंकि प्रेगनेंसी के बाद बॉडी अपने आप को शिशु के डेवलपमेंट के लिए ढालने लगती है। रागी ब्रेस्टफीड करा रही महिला के लिए एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स जैसे कैल्शियम, आयरन और फाइबर का काफी अच्छा सोर्स है, जो पोस्टपार्टम रिकवरी और ओवरऑल हेल्थ को मेंटेन करने के लिए काफी जरूरी होते है।

पोस्टपार्टम पीरियड डिलीवरी हो जाने के बाद के 4 से 6 हफ्ते को कहते हैं। ब्रेस्टफीड करा रही महिला के लिए आयरन काफी इंपोर्टेंट सकता है, क्योंकि आयरन पोस्टपार्टम पीरियड के दौरान एनीमिया के रिस्क को कम करने में मदद करता है। रागी में आयरन का कंटेंट काफी अच्छा होता है, जो की ब्रेस्टफीड करा रही महिलाओं में आयरन लेवल को मेंटेन करता है। रागी में कैल्शियम का कंटेंट भी काफी अच्छा होता है, जो की ब्रेस्ट फीड करा रही महिला में कैल्शियम के लेवल को मेंटेन करता है।

इससे बोन्स को हेल्दी रखने में काफी मदद मिलती हैं, और शिशु के बोन डेवलपमेंट में भी काफी हेल्प हो जाती है। रागी में मौजूद फाइबर का कंटेंट हेल्दी डाइजेशन को प्रमोट करता है, जिससे पोस्टपार्टम पीरियड के दौरान कॉन्स्टीपेशन जैसी सामान्य समस्या से निजात मिल सकती है। ब्रेस्टफीड करा रही महिला में एनर्जी की रिक्वायरमेंट काफी बढ़ जाती है, जो रागी में मौजूद कार्बोहाइड्रेट काफी अच्छी क्वांटिटी में प्रोवाइड करते हैं।

कुछ ट्रेडिशनल बिलीव्स के अकॉर्डिंग रागी में गलेक्टोगोग प्रॉपर्टीज (Galactagogue Properties) होती है, जो की ब्रेस्ट फीड करा रही महिलाओं में मिल्क प्रोडक्शन को बढ़ाने में मदद करती हैं। यह भी पॉसिबल हैं,कि यदि ब्रेस्ट फीड करा रही महिला अपने डेली फूड इनटेक में रागी को शामिल करती है, तो रागी में मौजूद न्यूट्रिएंट्स ब्रेस्ट मिल्क के जरिए शिशु तक भी पहुंच सकते हैं। इन सबके अलावा पोस्टपार्टम पीरियड में महिलाओं में वजन बढ़ने की समस्या भी आम हो जाती है, जिसमें रागी का हाई फाइबर कंटेंट काफी मदद करता है।

5. हार्मोनल बैलेंस के लिए रागी के फायदे

रागी में मौजूद हाई न्यूट्रिएंट कंटेंट बॉडी में हार्मोनल बैलेंस को मेंटेन करने में काफी हेल्प करता है। रागी में मौजूद मैग्नीशियम का हाई कंटेंट हार्मोनल बैलेंस को मेंटेन करने में काफी इंपॉर्टेंस रखता है, क्योंकि बॉडी में इन्सुलिन सेंसटिविटी और थाइरॉएड फंक्शन में मैग्नीशियम का ही सबसे अहम रोल होता है। रागी के लो ग्लिसमिक इंडेक्स फूड होने की वजह से ब्लड में शुगर का लेवल भी स्टेबल रहता है, जिससे बॉडी में हार्मोनल बैलेंस और इंसुलिन का प्रोडक्शन प्रॉपर बना रहता है।

रागी में आयोडीन जिंक और आयरन जैसे एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स भी कुछ क्वांटिटी में होते हैं, जो थायराइड हेल्थ के लिए काफी जरूरी होते हैं। यह सभी मिनरल थाइरॉएड हार्मोस के प्रोडक्शन और रेगुलेशन में मदद करते हैं, जिससे ओवरऑल हार्मोनल बैलेंस बना रहता है। रागी में मौजूद बी विटामिन स्पेशली विटामिन b5 बॉडी में एड्रेनल हेल्थ के लिए काफी जरूरी होता है। बॉडी में प्रॉपर क्वांटिटी मे बी विटामिन की मौजूदगी एड्रेनल ग्लैंड के प्रॉपर फंक्शन में मदद करते हैं, जिससे हार्मोन प्रोडक्शन और मैनेजमेंट में काफी मदद मिलती है।

कुछ स्टडीज बताती है,कि रागी में फाइटो एस्ट्रोजेंस भी होते हैं, जो की बॉडी में एस्ट्रोजन रिसेप्टर के साथ मिलकर हार्मोनल बैलेंस को मेंटेन करने में मदद करते हैं। रागी प्रोटीन और अमीनो एसिड का भी काफी अच्छा सोर्स है, जो की प्रोटीन सिंथेसिस के लिए काफी जरूरी होते है, और प्रॉपर प्रोटीन इनटेक बॉडी में हेल्दी हार्मोनल बैलेंस मेंटेन करने के लिए काफी जरूरी होता है।

रागी में पॉलिफिनॉस जैसे एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं, जो की हार्मोनल बैलेंस के लिए काफी जरूरी होता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बॉडी में हार्मोनल फंक्शन में दिक्कतें पैदा कर सकता है। रागी में विटामिन मिनरल और फाइबर काफी अच्छी क्वांटिटी में होते हैं, जो बॉडी को ओवरऑल हेल्दी रखने में मदद करते हैं। ओवरऑल बॉडी के हेल्दी रहने से हार्मोनल बैलेंस भी मेंटेन रहता है।

6. पीसीओएस में रागी के फायदे

PCOS को पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम भी कहते हैं। PCOS में रागी का सेवन करने से उसके न्यूट्रिएंट कंपोजिशन की वजह से काफी हेल्थ बेनिफिट्स देखने को मिल सकते हैं। रागी एक लो ग्लिसमिक इंडेक्स फूड है, जो ब्लड में शुगर के अब्जॉर्प्शन के प्रोसेस को धीमा कर देता है। इससे बॉडी में इंसुलिन के प्रोडक्शन में मदद मिल सकती है, जो की PCOS में काफी हेल्पफुल हो सकता है। रागी में मौजूद हाई फाइबर कंटेंट डाइजेशन को बेटर करके ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करता है।

फाइबर पेट भरे रहने की फीलिंग देता है, जिससे वेट मैनेजमेंट में काफी मदद मिलती है। इसके अलावा फाइबर भूख को कंट्रोल करके और ओवरऑल कैलोरी इनटेक को कम करके वेट मैनेजमेंट में मदद कर सकता है। PCOS में वेट मैनेजमेंट भी काफी जरूरी होता है। रागी आयरन कैल्शियम और विटामिन जैसे एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स का काफी अच्छा सोर्स है, जो PCOS से जुड़े न्यूट्रीशनल इंबैलेंस को बैलेंस करके ओवरऑल हेल्थ को मेंटेन करने में मदद करता है। रागी एक ग्लूटेन फ्री ग्रीन है, जो की ग्लूटेन सेंसिटिव PCOS पेशेंट के लिए काफी बेनिफिशियल हो सकता है।

इसके अलावा कुछ स्टडीज बताती है, कि रागी का न्यूट्रिएंट रिच होने की वजह से हार्मोनल बैलेंस पर पॉजिटिव इंपैक्ट हो सकता है, जो की PCOS से पीड़ित महिलाओं के लिए काफी इंपॉर्टेंट होता है। रागी में एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते है, जिससे इन्फ्लेमेशन में भी कमी आती है। PCOS में इन्फ्लेमेशन को कंट्रोल में काफी इंपोर्टेंट है। रागी में कैल्शियम की मौजूदगी बोन को हेल्दी रखता है, क्योंकि PCOS से पीड़ित महिला में ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा काफी ज्यादा होता है।

7. त्वचा के लिए रागी के फायदे

रागी अपने हाई न्यूट्रिएंट कंटेंट की वजह से स्किन को हेल्दी और न्यूरिश्ड रखने में काफी मदद कर सकता है। रागी में पॉलिफिनॉल्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते है, जो की बॉडी में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके स्किन को प्रीमेच्योर एजिंग से बचाते हैं। रागी में मथिलोनिन और लाईसीन (methionine and lysine) नाम के अमीनो एसिड का कंटेंट काफी अच्छा होता है, जो की कोलाजन के प्रोडक्शन में मदद करते हैं।

कोलाजन एक ऐसा प्रोटीन है, जो की स्किन को स्ट्रक्चर प्रोवाइड करता है, जिससे स्किन की इलास्टिसिटी और मजबूती बनी रहती है। रागी में मौजूद आयरन ब्लड में हीमोग्लोबिन की क्वांटिटी को बढ़ाता है, जिससे ब्लड की ऑक्सीजन कैरिंग कैपेसिटी भी काफी बेहतर हो जाती है। ब्लड की ऑक्सीजन कैरिंग कैपेसिटी बढ़ने से स्किन तक ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ जाती है, जिससे स्किन हेल्दी रहने लगती है।

रागी में मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज स्किन में होने वाली इन्फ्लेमेशन और इरिटेशन को कम करने में मदद कर सकते हैं, इससे एक्ने और एक्जिमा जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए काफी हेल्प मिल सकती है। रागी में विटामिन ई का कंटेंट भी होता है, जिसे स्किन प्रोटेक्टिव और हीलिंग प्रॉपर्टीज के लिए जाना जाता है। विटामिन ई स्किन को यूवी रेज से होने वाली डैमेज से बचाकर स्किन को हेल्दी रखने में मदद करता है। रागी में मौजूद फाइबर का कंटेंट बॉडी को हाइड्रेटेड रखने में भी कुछ हेल्प करता है।

स्किन को हेल्दी रखने और ड्राइनेस से बचाने के लिए बॉडी का प्रॉपर हाइड्रेटेड रहना काफी जरूरी होता है। कई बार हार्मोनल इंबैलेंस होने से भी स्किन इश्यूज हो सकते हैं। रागी का न्यूट्रीशनल कंटेंट हारमोंस को बैलेंस करने में मदद करता है, जिससे स्किन की हेल्थ में भी बेनिफिट्स देखने को मिल सकते हैं। ग्लूटेन एलर्जिक लोगों में ग्लूटेन रिच फूड खाने से स्किन इश्यूज देखने को मिल सकते हैं। रागी ग्लूटेन फ्री होता है, इसकी वजह से ग्लूटेन एलर्जिक लोगों के लिए भी काफी अच्छा काम करता है।

8. बालो के लिए रागी के फायदे

रागी का न्यूट्रीशनल कंटेंट ओवरऑल हेल्थ के लिए काफी बेनिफिशियल होता हैं, लेकिन बालों के लिए इसके हेल्थ बेनिफिट्स के बारे में साइंटिफिक प्रूफ काफी कम मिलते हैं। रागी में मौजूद आयरन का कंटेंट प्रॉपर ब्लड सर्कुलेशन के लिए काफी जरूरी होता है। ब्लड सरकुलेशन अच्छा रहने से स्कैल्प तक ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स की सप्लाई अच्छी बनी रहती है, जिससे हेयर फॉलिकल्स को भी ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स मिल पाते हैं।

प्रॉपर न्यूट्रिशन मिलने से हेयर फॉलिकल्स की ग्रोथ भी काफी तेजी से होती है। रागी में प्रोटीन का कंटेंट काफी अच्छा होता हैं, और हमारे बाल भी केराटिन नामक प्रोटीन से ही बने होते हैं। रागी में मौजूद प्रोटीन का कंटेंट केराटिन के प्रोडक्शन को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे बालों की हेल्थ में भी कुछ इफेक्ट देखने को मिल सकता है। रागी में मौजूद मेथिओनाइन और लाईसीन भी केराटिन के प्रोडक्शन में मदद करते हैं।

अमीनो एसिड एक तरह के प्रोटीन ही होते हैं, जो बालों को हेल्दी बनाएं रखने के लिए काफी जरूरी होते हैं। रागी में मौजूद बी विटामिन जैसे विटामिन बी6, विटामिन b9, और विटामिन b12, विटामिन ई, मैग्नीशियम और जिंक बॉडी को ओवरऑल हेल्दी रखने में मदद करते है, जिसका असर बालों की हेल्थ पर भी देखने को मिलता है। रागी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं, जिससे बालों का झड़ना कम हो सकता हैं, क्योंकि स्ट्रेस के कारण ही बाल सबसे ज्यादा झड़ते हैं।

रागी में मौजूद फाइबर का कंटेंट डाइजेशन बेटर करता हैं, जिससे न्यूट्रिएंट का अब्जॉर्प्शन भी काफी अच्छा हो जाता है। स्कैल्प और हेयर फॉलिकल्स तक ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स की सप्लाई भी काफी अच्छी होने लगती है। प्रॉपर न्यूट्रिएंट्स की सप्लाई हेयर फॉलिकल्स ग्रोथ के लिए काफी जरूरी होती है। कुछ स्टडीज में यह पाया गया हैं, कि डायबीटिक पेशेंट्स में हेयर लॉस देखने को मिल सकता है। इसमें रागी का लो ग्लिसमिक इंडेक्स फूड होने की वजह से काफी असर हो सकता है।

9. पाचन तंत्र (गैस और कब्ज) के लिए रागी के फायदे

रागी अपने हाई फाइबर कंटेंट और दूसरे न्यूट्रीशनल कंपोनेंट्स की वजह से डाइजेस्टिव हेल्थ पर काफी पॉजिटिव इंपैक्ट करता है। रागी का हाई डाइटरी फाइबर कंटेंट मल को भारी बनाता है, जिससे बॉवेल मूवमेंट्स रेगुलर होते है, और कॉन्स्टीपेशन की समस्या से छुटकारा मिलता है। रागी का हाई फाइबर कंटेंट बॉवेल मूवमेंट्स को रेगुलर करता है, जिससे अपाचन जैसी समस्या से छुटकारा मिल सकता है। बॉवेल मूवमेंट्स की रेगुलर होने का आंतों पर भी असर पड़ता हैं, और इससे आंतें भी हेल्दी रहने लगती हैं।

आंतों में ही बॉडी के लिए जरूरी गट बैक्टीरिया का प्रोडक्शन होता है। हेल्दी गट बैक्टीरिया डाइजेस्टिव हेल्थ के लिए काफी जरूरी होता है। रागी में मौजूद फाइबर का कंटेंट मल में मॉइश्चर को मेंटेन रखता है, जिससे मल सॉफ्ट रहता हैं, और बॉडी से बिना किसी दिक्कत के बाहर निकल जाता है। इससे पाइल्स होने का रिस्क भी काफी कम हो जाता है। इसके अलावा यह फाइबर कंटेंट वेट मैनेजमेंट में मदद करता है, जिससे ओवरऑल कैलोरी इनटेक कंट्रोल में रहता हैं, और अनहेल्दी स्नैक्स खाने से भी बचा जा सकता है।

रागी ब्लड शुगर लेवल को भी मैनेज करने में काफी मदद करता है। ब्लड शुगर के स्टेबल रहने का इंपैक्ट डाइजेशन पर भी पड़ता है। रागी का रोजाना सेवन करने से इसमें मौजूद फाइबर कंटेंट की वजह से कोलोरेक्टल कैंसर जैसे डाइजेस्टिव इश्यूज होने का रिस्क काफी कम हो जाता है। रागी में मौजूद मैग्नीशियम का कंटेंट मसल फंक्शन के लिए काफी जरूरी होता हैं, और डाइजेशन में मसल्स का सबसे इंपॉर्टेंट रोल होता है।

रागी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेटरी कंपाउंड डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में होने वाले इन्फ्लेमेशन को कम करके भी ओवरऑल डाइजेस्टिव हेल्थ में काफी कंट्रीब्यूशन कर सकते हैं। रागी के हाई फाइबर कंटेंट होने की वजह से इसका डाइजेशन भी काफी आसानी से हो जाता है, जो गैस से जुड़ी समस्याओं से निजात पाने में काफी हेल्पफुल हो सकता है। रागी के ग्लूटेन फ्री होने की वजह से रागी ग्लूटेन सेंसिटिव लोगों में भी डाइजेस्टिव हेल्थ को सुधारने में मदद कर सकता है।

10. वजन घटाने के लिए रागी के फायदे

रागी में डाइटरी फाइबर का कंटेंट काफी अच्छा होता हैं, जो कि पेट भरा रखने की फीलिंग देता है। इससे भूख लगने में भी कमी होती हैं, और ओवरऑल कैलोरी इनटेक में कंट्रोल में रहता है। ओवरऑल कैलोरी इनटेक कंट्रोल में रहने से वेट मैनेजमेंट में भी काफी मदद मिलती है। रागी लो कैलोरी फूड होने के साथ-साथ कैल्शियम, आयरन और विटामिन जैसे एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होता है।

रागी में फैट का कंटेंट भी काफी कम होता है, वेट कॉन्शियस लोगों के लिए काफी हेल्पफुल हो सकता है। रागी वेट कॉन्शियस लोगों के लिए न्यूट्रिएंट्स काफी अच्छी क्वांटिटी में और कम कैलोरी इंटेक में दे सकता है। रागी में मौजूद कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट काफी धीरे-धीरे डाइजेस्ट होते है, जिससे ब्लड में शुगर का अब्जॉर्प्शन भी काफी स्लो हो जाता है। डाइजेशन प्रोसेस धीमा होने से और ब्लड में शुगर का अब्जॉर्प्शन भी धीमा हो जाने से कुछ खाने की इच्छा नहीं होती है, जिससे वेट लॉस में काफी मदद मिल सकती है।

रागी में बॉडी के लिए जरूरी अमीनो एसिड्स काफी अच्छी क्वांटिटी में होते हैं, जो कि इसे एक अच्छा प्रोटीन सोर्स बनाते हैं। यह प्रोटीन वेट लॉस के दौरान फिजिकल एक्सरसाइज में होने वाले मसल्स क्रैंप्स में मसल्स को हेल्दी रखने में मदद कर सकते हैं। वेट लॉस के दौरान फिजिकल एक्सरसाइज जरूरी होती हैं, और इससे मसल्स में इन्फ्लेमेशन होने के चांसेस भी काफी बढ़ जाते हैं।

रागी में एंटीऑक्सीडेंट भी काफी अच्छी मात्रा होते है, जो बॉडी में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और इन्फ्लेमेशन को कम करते हैं। रागी में मौजूद आयरन और भी विटामिन मेटाबॉलिज्म को हेल्दी रखते हैं, जिससे ओवरऑल वेट मैनेजमेंट में काफी हेल्प होती है।

11. थायराइड के लिए रागी के फायदे

रागी बहुत से ऐसे बेनिफिट्स देता हैं, जो की थायराइड हेल्थ में काफी हेल्पफुल हो सकते हैं। थाइरॉएड फंक्शन के लिए आयोडीन काफी एसेंशियल होता हैं, और इसका प्रॉपर इंटेक थायराइड हार्मोन के सिंथेसिस के लिए काफी जरूरी है। रागी में आयोडीन का कंटेंट कुछ मात्रा में होता है, जो थायराइड हेल्थ को मेंटेन करने में काफी हेल्प करता है। रागी में कुछ मात्रा में सेलेनियम भी होता है, जो की थायराइड हार्मोन के कन्वर्जन में काफी अहम रोल रखता है।

रागी में काम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट्स होते है, जो की धीरे-धीरे एनर्जी को रिलीज करते हैं। एनर्जी के धीरे-धीरे रिलीज होने पर थायराइड हार्मोन पर भी काफी पॉजिटिव इंपैक्ट देखने को मिलता है। रागी का फाइबर कंटेंट डाइजेशन को हेल्दी रखता हैं, जिसे न्यूट्रिएंट्स का बैटर अब्जॉर्प्शन होता है। थायराइड ग्लैंड के प्रॉपर फंक्शन के लिए न्यूट्रिएंट्स की सप्लाई काफी मायने रखती है। रागी एक लो ग्लिसमिक इंडेक्स ग्रेन हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को स्टेबलाइज करता है। थायराइड इश्यूज वाले लोगों में ब्लड शुगर का मेंटेन रहना काफी जरूरी होता है।

रागी में न्यूट्रिएंट्स की काफी अच्छी क्वांटिटी होती हैं, जो की ओवरऑल बॉडी को हेल्दी रखकर थायराइड डिसऑर्डर में भी काफी हेल्प करते हैं। रागी ग्लूटेन फ्री होता है, जोकि थायराइड डिसऑर्डर जैसे हसीमोतो डिजीज में ग्लूटेन का परहेज काफी जरूरी होता है। रागी में मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज थायराइड ग्लैंड में होने वाली इन्फ्लेमेशन को खत्म करके भी थायराइड हार्मोन के प्रोडक्शन में काफी पॉजिटिव इंपैक्ट करते हैं।

12. हाइपोथायरॉइडिज्म में रागी के फायदे

हाइपोथायरायडिज्म में रागी का सेवन कुछ हेल्थ बेनिफिट्स दे सकता है। आयोडीन थाइरॉएड फंक्शन के लिए काफी जरूरी होता हैं, और हाइपोथायरायडिज्म आयोडीन की कमी से जोड़ा जाता है। रागी में आयोडीन का कंटेंट होता है, जो कि इसमें कुछ बेनिफिट कर सकता है। रागी में मौजूद फाइबर डाइजेशन को अच्छा करके न्यूट्रिएंट्स के अब्जॉर्प्शन में मदद करते हैं, जो हाइपोथायरायडिज्म में डाइजेशन डाइजेशन से रिलेटेड इश्यूज में बेनिफिशियल हो सकता है।

हाइपोथाइरॉएडिज्म में हसीमोतो डिजीज जैसी कंडीशन में ग्लूटेन का परहेज काफी जरूरी होता हैं, और रागी ग्लूटेन फ्री होने की वजह से इस कंडीशन में काफी हेल्प करता है। रागी में कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन और हेल्दी फैट्स को मिलाकर माक्रोन्यूट्रिएंट्स का काफी अच्छा बैलेंस होता है, जो ओवरऑल हेल्थ को अच्छा रखके हाइपोथायरॉइडिज्म में न्यूट्रीशनल सपोर्ट करते है। रागी में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और बी विटामिन जैसे एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स की काफी अच्छी क्वांटिटी होती है, जो मेटाबॉलिज्म को अच्छा करके बहुत से बॉडी फंक्शन में सपोर्ट करते है।

रागी का लो ग्लिसिमिक इंडेक्स ग्रेन होने की वजह से यह हाइपोथायरॉइडिज्म पेशेंट में ब्लड शुगर मैनेजमेंट में मदद करते है। रागी का हाई अमीनो एसिड कंटेंट, इसे कंप्लीट प्रोटीन सोर्स बनाते हैं, जो ओवरऑल हेल्दी के रहने के लिए काफी इंपोर्टेंट होते है। रागी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को भी कम करके हाइपोथायरॉइडिज्म में हेल्प करते है, क्योंकि कई बार स्ट्रेस भी थायराइड ग्लैंड के डिस्फंक्शन का कारण होता है।

13. किडनी के लिए रागी के फायदे

रागी में दूसरी ग्रेंस के मुकाबले फास्फोरस का कंटेंट काफी कम होता है, जो की किडनी इश्यूज से जूझ रहे लोगों के लिए काफी बेनिफिशियल हो सकता है। किडनी इश्यूज से जूझ रहे लोगों को फास्फोरस इनटेक पर काफी ध्यान देना होता हैं, और इसमें लो फास्फोरस कंटेंट वाली रागी काफी अच्छा काम करती है। किडनी इश्यूज से परेशान लोगों के लिए डाइजेस्टिव हेल्थ का अच्छा रहना काफी जरूरी होता हैं, और रागी में मौजूद फाइबर कंटेंट डाइजेस्टिव हेल्थ को सुधार कर डाइजेशन से जुड़े इश्यूज को खत्म करता है।

किडनी इश्यूज वाले लोगों को सोडियम के इनटेक पर फास्फोरस की तरह ही ध्यान देना होता हैं, क्योंकि सोडियम का ज्यादा क्वांटिटी ब्लड प्रेशर को बढ़ाने के साथ ही साथ किडनी में फ्लूईड को रोके रखने में मदद कर सकती है। इन केसेस में किडनी फेलियर होने के चांसेस काफी बढ़ जाते हैं। रागी में सोडियम का कंटेंट काफी कम होता है, जो फ्लूईड रिटेंशन को घटाकर किडनी फेल्योर के रिस्क को काफी कम कर सकता है।

रागी में आयरन का काफी अच्छा कंटेंट होने के साथ ही साथ ऑक्सलेट काफी कम होते हैं। ऑक्सलेट किडनी में स्टोंस बना सकते हैं। इस वजह से रागी किडनी पेशेंट में एनीमिया में काफी अच्छा काम कर सकती है। रागी में अमीनो एसिड्स काफी अच्छी क्वांटिटी में होते हैं, जो कि इसे प्लांट बेस्ड प्रोटीन का काफी अच्छा सोर्स बना देते हैं।

किडनी पेशेंट में हाई क्वालिटी प्रोटीन काफी जरूरी होता है, जिसे रागी काफी कम क्वांटिटी में फास्फोरस के साथ प्रोवाइड करता है। रागी में मौजूद पॉलीफेनॉल जैसे एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके किडनी को हेल्दी रखने में काफी अच्छा काम करते हैं।

14. किडनी स्टोंस के लिए रागी के फायदे

रागी में ऑक्सलेट लगभग ना के बराबर होते हैं। ऑक्सलेट किडनी में स्टोंस बनाने के लिए जिम्मेदार होते है, और रागी में ऑक्सलेट काफी कम मात्रा मे होने के साथ-साथ न्यूट्रिएंट्स होने की वजह से किडनी पेशेंट के लिए काफी बेनिफिशियल हो जाती है। रागी में डाइटरी फाइबर का कंटेंट भी काफी अच्छा होता हैं, जो की डाइजेस्टिव हेल्थ को सुधार कर कॉन्स्टीपेशन जैसे इश्यूज को खत्म करके भी किडनी के लिए बेनिफिशियल हो सकते हैं।

कई बार कॉन्स्टीपेशन से भी किडनी स्टोंस होने का रिस्क होता है। रागी बॉडी को ओवरऑल हाइड्रेटेड रखने में भी काफी मदद करती हैं, और किडनी को हेल्दी रखने के लिए भी बॉडी का हाइड्रेटेड रहना काफी जरूरी होता है। बॉडी के हाइड्रेटेड रहने से ऐसे पार्टिकल्स जो किडनी स्टोंस बन सकते है, वह डाइल्यूट होकर बॉडी से बाहर निकल जाते हैं। रागी में कैल्शियम आयरन और मैग्नीशियम जैसे एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स का भी अच्छी क्वांटिटी में होते हैं।

कैल्शियम का हाई इंटेक किडनी स्टोंस बनने का कारण हो सकता हैं, लेकिन रागी में प्लांट बेस्ड कैल्शियम होता है, जो की किडनी के लिए हेल्पफुल होता है। कुछ स्टडीज बताती हैं, कि किडनी जैसे अल्कलाइन फूड्स का सेवन करने पर बॉडी में कैसा एनवायरमेंट बनता हैं, जो की किडनी स्टोंस के फॉर्मेशन पर रोक लगाता है। रागी में फास्फोरस का लेवल भी काफी कम होता है, जो की बॉडी में फास्फोरस के इंटेक पर कंट्रोल रखता हैं, और किडनी के लिए बेनिफिशियल होता है।

15. मधुमेह रोगियों के लिए रागी के फायदे

रागी एक लो ग्लिसमिक इंडेक्स वाला फूड है, जो की डायबीटिक पेशेंट्स के लिए काफी बेनिफिशियल होता है। लो ग्लिसमिक इंडेक्स वाले फूड ब्लड में शुगर के अब्जॉर्प्शन के प्रोसेस को काफी धीमा कर देते हैं, जिससे बॉडी में सदन शुगर स्पाईक नहीं होता है। रागी में मौजूद हाई फाइबर कंटेंट भी कार्बोहाइड्रेट के डाइजेशन और अब्जॉर्प्शन के प्रोसेस को धीमा करते है। जिससे ब्लड में शुगर का लेवल अचानक से नहीं बढ़ता हैं, और ब्लड शुगर मैनेजमेंट में मदद मिलती है।

कुछ स्टडीज बताती हैं, कि रागी बॉडी में इन्सुलिन सेंसटिविटी को बढ़ाता हैं, जिससे बॉडी इंसुलिन का बैटर यूज कर पाती है। रागी एक काम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट है, जिससे इसके डाइजेशन और ग्लूकोज कन्वर्जन में काफी टाइम लगता है। इस तरह से बॉडी में ग्लूकोस रिलीज भी काफी स्लो होता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। रागी में मैग्नीशियम जैसे एसेंशियल न्यूट्रिएंट काफी अच्छी क्वांटिटी में होते हैं, जो की ग्लूकोस मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर बैटर इंसुलिन फंक्शन में कंट्रीब्यूट करते हैं।

रागी ग्लूटेन फ्री होता हैं, जो की ग्लूटेन एलर्जिक डायबिटिक पेशेंट के लिए न्यूट्रिशन का काफी अच्छा सोर्स बन जाता है। डायबीटिक पेशेंट के लिए वेट मैनेजमेंट भी काफी जरूरी होता हैं, जो की रागी पेट को भरा रखकर वेट मैनेजमेंट में काफी मदद करती है। रागी में एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके भी डायबीटिक पेशेंट्स में ओवरऑल हेल्थ को बनाए रखती है।

रागी में फाइबर मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी ओवरऑल कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ में काफी कंट्रीब्यूशन करते हैं। डायबीटिक पेशेंट के लिए हार्ट को हेल्दी रखना भी काफी जरूरी होता हैं, क्योंकि ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ जाने से हार्ट पर भी असर पड़ता हैं, ।

16. फैटी लीवर के लिए रागी के फायदे

रागी फैटी लिवर पेशेंट में कई तरह के बेनिफिट्स कर सकता है। रागी एक लो ग्लिसमिक इंडेक्स वाला फूड ग्रेन है,‌ जो ब्लड में शुगर के अब्जॉर्प्शन को धीमा करता है। इससे फैटी लीवर से जूझ रहे लोगों में बेटर ब्लड शुगर कंट्रोल और इंसुलिन सेंसिटिविटी में मदद मिलती है। रागी में मौजूद हाई फाइबर कंटेंट डाइजेस्टिव हेल्थ को सपोर्ट करता है। रागी कब्ज को खत्म करता हैं, जिससे बॉवेल मूवमेंट्स रेगुलर हो जाते है, और आंतें भी हेल्दी रहती हैं।

फैटी लीवर डिजीज में डाइजेशन का अच्छा रहना काफी जरूरी होता है। रागी में मौजूद फाइबर का कंटेंट पेट भरा रहने की फीलिंग देता है, जिसे वेट मैनेजमेंट पर मदद मिलती है। फैटी लीवर पेशेंट के लिए हेल्दी वेट मेंटेन करना काफी इंपॉर्टेंस रखता है। रागी में बॉडी के लिए जरूरी विटामिन और मिनरल्स काफी अच्छी क्वांटिटी में होते है, जो की फैटी लीवर डिजीज में होने वाले न्यूट्रिएंट्स की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं। कुछ स्टडीज बताती हैं, कि रागी में कुछ ऐसे कंपाउंड होते हैं, जिनमें हैपटो प्रोटेक्टिव इफेक्ट होते हैं, जो लीवर को डैमेज से बचाते हैं।

रागी में सैचुरेटेड फैट काफी कम मात्रा में होते है, जो कि इसे हार्ट हेल्दी बनाते हैं। फैटी लीवर डिजीज में फैट के इंटेक पर काफी ध्यान देना होता है। रागी का ग्लूटेन फ्री होना ग्लूटेन एलर्जिक फैटी लिवर पेशेंट के लिए न्यूट्रिएंट रिच डाइट का काम करता है। रागी में मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज फैटी लिवर पेशेंट में लिवर में होने वाली इन्फ्लेमेशन को खत्म करके भी लीवर को हेल्दी रखने में मदद करती है। रागी में अमीनो एसिड का कंटेंट काफी अच्छा होता है, जो कि इसे प्लांट बेस्ड प्रोटीन का काफी अच्छा सोर्स बना देते हैं। फैटी लिवर पेशेंट के लिए रागी एक बैलेंस डाइट का काम करता है।

17. कोलेस्ट्रॉल कम करने में रागी के फायदे

रागी में सॉल्युबल फाइबर काफी अच्छी क्वांटिटी में होते है, जो कि एलडीएल कोलेस्ट्रॉल यानी लो डेंसिटी लिपॉप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल या बेड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में मदद करते हैं। सॉल्युबल फाइबर कोलेस्ट्रॉल को अपने साथ बांधकर बॉडी से बाहर निकालने का काम करते हैं। जिससे यह बॉडी में अब्जॉर्ब नहीं हो पाते हैं। रागी का लो ग्लिसमिक इंडेक्स होना भी कोलेस्ट्रॉल में काफी बेनिफिशियल होता है।

लो ग्लिसमिक इंडेक्सरागी होने की वजह से रागी ब्लड शुगर पर डायरेक्ट इंपैक्ट करता हैं, और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स पर इनडायरेक्ट इंपैक्ट करती है। रागी में मौजूद पॉलिफिनॉल्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट ब्लड वेसल्स को प्रोटेक्ट करके कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ में कंट्रीब्यूशन करते हैं। रागी में मौजूद मैग्नीशियम कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ को इंप्रूव करने में मदद करते है, जिससे ब्लड का फ्लो प्रॉपर बना रहता हैं, और हार्ट भी हेल्दी रहता है।

ब्लड का प्रॉपर फ्लो बने रहने से आर्टिरीज में कोलेस्ट्रॉल जमने का रिस्क काफी कम हो जाता है। इसे आर्टरी ब्लॉकेज के नाम से भी जाना जाता है। रागी में कुछ ऐसे कंपाउंड्स भी होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करके हार्ट डिसीज होने के रिस्क को काफी कम करते हैं, जिससे हार्ट हेल्दी बना रहता है। रागी में मौजूद न्यूट्रिएंट्स बॉडी को ओवरऑल हेल्दी रखने में मदद करते हैं, जिससे भी कोलेस्ट्रॉल के लेवल को मेंटेन करने में काफी मदद मिल जाती है।

19. यूरिनरी सिस्टम के लिए रागी के फायदे

रागी में मौजूद न्यूट्रीशनल कंटेंट की वजह से इसका सेवन करने से यूरिनरी सिस्टम में कुछ बेनिफिट्स देखने को मिल सकते हैं। रागी में वॉटर कंटेंट काफी अच्छा होता हैं, जिसका सेवन करने से बॉडी हाइड्रेटेड बनी रहती है। बॉडी के हाइड्रेटेड रहने से बॉडी में फ्लूइड बैलेंस बना रहता हैं, और यूरिनरी सिस्टम भी हेल्दी रहता है। रागी में मौजूद मैग्नीशियम का कंटेंट किडनी स्टोन के रिस्क को काफी कम कर देता है।

कुछ ट्रेडिशनल मेडिसिंस के अनुसार रागी में ड्यूरेटिक प्रॉपर्टीज होती हैं। ड्यूरेटिक प्रॉपर्टीज बॉडी में यूरिन प्रोडक्शन को बढ़ाकर बॉडी में बनने वाले टॉक्सिन्स को यूरिन के जरिए बॉडी से बाहर निकालने का काम करते हैं। इससे यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन या यूटीआई होने का खतरा भी काफी कम हो जाता है। रागी का बॉडी में अल्कलाइन इफेक्ट होता है, बॉडी में अल्कलाइन एनवायरमेंट होने से यूरिन का पीएच लेवल बैलेंस रहता हैं, और यूरिनरी इश्यूज होने का रिस्क भी काफी कम हो जाता है।

रागी में मौजूद फाइबर का कंटेंट कांस्टीपेशन के रिस्क को कम करता है, जिससे यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन होने का रिस्क भी काफी कम हो जाता है। रागी में मौजूद पोटैशियम जैसे मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट किडनी फंक्शन को बढ़ाने और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं, जिससे यूरिनरी सिस्टम हेल्दी बना रहता है।

20. यूरिक एसिड में रागी के फायदे

हाई यूरिक एसिड बनने वाले लोगों में रागी का सेवन काफी हेल्थ बेनिफिट्स प्रोवाइड कर सकता है। रागी में पुरिन का कंटेंट काफी कम होता है। पुरीन बॉडी में यूरिक एसिड के बनने के लिए जिम्मेदार होता है। ऐसे लोग जो यूरिक एसिड के लेवल को मैनेज करना चाहते है, उनके लिए लो पुरीन डाइट काफी हेल्पफुल होता है। रागी का हाई फाइबर कंटेंट हेल्दी वेट को मेंटेन करने में मदद करने के साथ-साथ डाइजेस्टिव हेल्थ को भी सपोर्ट करता है, जिससे इनडायरेक्टली यूरिक एसिड लेवल्स के मैनेजमेंट में भी मदद मिल सकती है।

रागी का बॉडी पर अल्कलाइन इफेक्ट होता हैं, जो एक्सेस एसिडिटी को खत्म करके हाई यूरिक एसिड लेवल्स को कंट्रोल करते हैं। रागी में कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो की रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से हेल्दी माने जाते हैं। कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स का प्रॉपर इंटेक मेटाबॉलिक हेल्थ को मेंटेन करने में काफी कंट्रीब्यूट करता है। रागी में बॉडी के लिए जरूरी हैं, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और बी विटामिन जैसे मिनरल और विटामिन काफी अच्छी क्वांटिटी में होते है, जो बॉडी को ओवरऑल हेल्दी रखने में मदद करते हैं, जिससे यूरिक एसिड भी कंट्रोल में रहता है।

21. एनीमिया में रागी के फायदे

रागी में आयरन का कंटेंट काफी हाई क्वांटिटी में होता हैं, जो बॉडी में हीमोग्लोबिन के प्रोडक्शन को बढ़ाता है। बॉडी में हीमोग्लोबिन लंग्स से पूरी बॉडी तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होता है। रागी का आयरन रिच होने की वजह से इसका रोजाना सेवन करने पर एनीमिया के रिस्क को काफी कम किया जा सकता है। रागी में मौजूद आयरन का कंटेंट हीमोग्लोबिन के सिंथेसिस को बढ़ाता है, जिससे रेड ब्लड सेल्स का प्रोडक्शन भी बढ़ जाता है। इससे ब्लड में हीमोग्लोबिन का लेवल भी बढ़ने लगता है।

रागी में कुछ ऐसे कंपाउंड भी होते है, जो बॉडी में आयरन के अब्जॉर्प्शन को बढ़ाते हैं‌। रागी का दूसरे विटामिन सी रिच फूड के साथ सेवन करने पर आयरन का अब्जॉर्प्शन काफी अच्छे से होता हैं, क्योंकि विटामिन सी रागी जैसे प्लांट बेस्ड फूड से आयरन के अब्जॉर्प्शन में काफी मदद करता है। आज मार्केट में मौजूद आयरन सप्लीमेंट्स की जगह रागी काफी अच्छा काम कर सकती है। रागी को डेली की डाइट में शामिल करने से बॉडी में आयरन का इंटेक काफी अच्छा हो जाता है।

कभी-कभी आयरन सप्लीमेंट्स डाइजेशन में इश्यूज बना सकते हैं, इस वजह से आर्टिफिशियल आयरन सप्लीमेंट्स की जगह रागी का सेवन काफी बेनिफिशियल हो सकता है। रागी डाइजेशन को अच्छा करने के साथ ही डाइजेशन को स्मूथ भी करता है। रागी के ग्लूटेन फ्री होने की वजह से इसे ग्लूटेन एलर्जिक लोग भी आसानी से खा सकते है, और आयरन की कमी को पूरा कर सकते हैं।

22. डिप्रेशन और अनिद्रा में रागी के फायदे

रागी में ट्राइप्टोफैन नाम का अमीनो एसिड काफी अच्छी क्वांटिटी में होता है, जो बॉडी में सेरोटोनिन न्यूरोट्रांसमीटर के प्रोडक्शन में मदद करता है। सेरोटोनिन को मूड एनहांसर भी कहा जा सकता है, जो मूड को रेगुलेट करने का काम करता है। प्रॉपर क्वांटिटी में सेराटोनिन का प्रोडक्शन डिप्रेशन को खत्म करने में मदद कर सकता है। रागी में पाए जाने वाले मैग्नीशियम का कंटेंट भी न्यूरोट्रांसमीटर को रेगुलेट करने में काफी अहम रोल रखता हैं, और मसल्स को रिलैक्स करके अच्छी नींद लाने का काम करता है।

रागी में मौजूद कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट भी बॉडी में एनर्जी लेवल और मूड को इफेक्ट कर सकते हैं, जिससे डिप्रेशन और अनिद्रा में आराम मिल सकता है। रागी में मौजूद विटामिन b6 और विटामिन b12 न्यूरोट्रांसमीटर सिंथेसिस के लिए काफी जरूरी होते हैं। बॉडी में विटामिन b6 और विटामिन b12 की कमी होने पर मूड से रिलेटेड डिसऑर्डर होने के चांसेस बढ़ जाते हैं। रागी का ओवरऑल न्यूट्रिएंट कंटेंट बॉडी को हेल्दी रखने में काफी मदद करता हैं, जिससे डिप्रेशन और अनिंद्र होने के चांसेस काफी कम हो जाते हैं।

23. हड्डियों में रागी के फायदे

रागी में पॉलीफेनॉल की मौजूदगी से एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती है। अर्थराइटिस में इन्फ्लेमेशन सबसे मेन कारण होता है। रागी में मौजूद एंटी-फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज अर्थराइटिस में होने वाले इन्फ्लेमेशन को खत्म करके अर्थराइटिस के सिम्टम्स को कम करने में मदद कर सकती हैं। मैग्नीशियम को मसल्स रिलैक्सिंग प्रॉपर्टीज की वजह से जाना जाता है, और रागी में मैग्नीशियम का कंटेंट काफी अच्छा होता है।

अर्थराइटिस पेशेंट्स में मैग्नीशियम मसल्स को रिलैक्स करके मदद कर सकता है। रागी का हाई फाइबर कंटेंट डाइजेशन को अच्छा करता हैं, और डाइजेशन के अच्छे रहने से बॉडी के हर पार्ट पर पॉजिटिव इंपैक्ट देखने को मिलता है। इसका असर अर्थराइटिस पर भी देखने को मिल सकता है। रागी में कैल्शियम और आयरन का कंटेंट काफी अच्छा होता हैं, जो बोनस को हेल्दी रखने के लिए काफी जरूरी होता है। अर्थराइटिस में बोन्स और जॉइंट्स का हेल्दी रहना काफी मायने रखता है।

रागी का ग्लूटेन फ्री होना भी अर्थराइटिस के लिए हेल्पफुल है, क्योंकि अर्थराइटिस पेशेंट में ग्लूटेन इन्फ्लेमेशन का कारण बन सकता है। अर्थराइटिस में वेट मैनेजमेंट भी काफी जरूरी होता हैं, क्योंकि ज्यादा वेट होने से जॉइंट्स पर प्रेशर पड़ता हैं, और आर्थराइटिस के सिम्टम्स काफी दिक्कत पैदा कर सकते हैं। रागी में मौजूद ओवरऑल न्यूट्रिएंट्स और एसेंशियल अमीनो एसिड अर्थराइटिस पेशेंट्स को ओवरऑल हेल्दी रखने में काफी मदद कर सकते हैं।

24. मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए रागी के फायदे

रागी में आयरन काफी अच्छी क्वांटिटी में होता है, जो की बॉडी में ऑक्सीजन के लेवल को मेंटेन रखना के लिए काफी मायने रखता है। हमारे ब्रेन की प्रॉपर फंक्शन के लिए ऑक्सीजन की प्रॉपर सप्लाई होना काफी इंर्पोटेंस रखती है। ऑक्सीजन की प्रॉपर सप्लाई बनी रहने से ओवरऑल ब्रेन हेल्थ बनी रहती हैं, और कॉग्निटिव फंक्शन भी बेहतर रहता है। रागी में मौजूद ट्रिप्टोफैन, मेथियोनिन और वलीन जैसे अमीनो एसिड न्यूरोट्रांसमीटर के सिंथेसिस में काफी अहम रोल रखते हैं।

न्यूरोट्रांसमीटर ब्रेन में मौजूद नर्व सेल्स के बीच में सिग्नल ट्रांसमिट करते हैं, जिससे मूड और मेमोरी इन्फ्लुएंस होती है। रागी में विटामिन बी1 विटामिन b2 विटामिन b3 और विटामिन b6 जैसे बी विटामिन काफी अच्छी मात्रा में होते हैं, जो एनर्जी मेटाबॉलिज्म, नर्व फंक्शन और न्यूरोट्रांसमीटर के प्रोडक्शन में काफी अहम रोल रखते हैं। प्रॉपर क्वांटिटी में भी विटामिन का इंटेक कॉग्निटिव फंक्शन के लिए काफी जरूरी होता है।

रागी में पॉलिफिनॉस जैसे एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और ब्रेन में इन्फ्लेमेशन को खत्म करके उम्र के साथ बढ़ने वाले कॉग्निटिव इश्यूज और न्यूरोडीजेनरेटिव डिसऑर्डर्स के रिस्क को काफी कम करते हैं। रागी में मौजूद मैग्नीशियम कंटेंट ब्रेन में कई सारी बायोकेमिकल रिएक्शंस के लिए जिम्मेदार होता है।

मैग्नीशियम ब्रेन की प्रॉपर फंक्शन के लिए जिम्मेदार होता है। रागी का हाई फाइबर और लो ग्लिसमिक इंडेक्स होने की वजह से यह ब्लड में शुगर के अब्जॉर्प्शन के प्रोसेस को धीमा करता है, जिससे एनर्जी कांस्टेंट रिलीज होती रहती है। एनर्जी के कांस्टेंट रिलीज होने से ब्रेन आसानी से फंक्शन कर पाता है। रागी का ओवरऑल न्यूट्रिएंट कंटेंट बॉडी को हेल्दी रखें ब्रेन हेल्थ में काफी सपोर्ट करता है।

25. कैंसर में रागी के फायदे

रागी में विटामिन मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट जैसे एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स काफी अच्छी क्वांटिटी में होते हैं, जो बॉडी को ओवरऑल हेल्दी रख के कैंसर के प्रिवेंशन में मदद करते हैं। कैंसर पेशेंट्स खासकर ऐसे पेशेंट जो कीमोथेरेपी करा रहे होते हैं, उन में आयरन की कमी काफी सामान्य होती है, जिसे रागी के सेवन से दूर किया जा सकता है। रागी आयरन का काफी अच्छा सोर्स हैं, जो एनीमिया को खत्म करने में काफी मदद करती है।

रागी में मौजूद फाइबर डाइजेस्टिव इश्यूज को खत्म करके कोलोरेक्टल कैंसर के रिस्क को कम करते हैं। इसके अलावा कैंसर के ट्रीटमेंट के दौरान भी डाइजेस्टिव इश्यूज हो सकते हैं, जिसे रागी के सेवन के द्वारा ठीक किया जा सकता है। कैंसर पेशेंट्स में ट्रीटमेंट के दौरान थकावट देखने को मिलती है, जिसे रागी के सेवन से दूर किया जा सकता है। रागी में कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होते है, जो डाइजेस्ट होने में काफी समय लेते है, और धीरे-धीरे एनर्जी रिलीज करते हैं।

रागी में अमीनो एसिड का कंटेंट भी काफी अच्छा होता हैं, जो की इसे एक प्लांट बेस्ड प्रोटीन सोर्स बनाते हैं। कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान टिशु रिपेयर और इम्यून फंक्शन के लिए प्रोटीन का इंटेक काफी जरूरी होता है। रागी में कुछ ऐसे कंपाउंड होते है, जिनमें एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं, जो की बॉडी में कहीं पर भी होने वाली इन्फ्लेमेशन को खत्म करके वहां की डैमेज्ड सेल्स से कैंसर होने के रिस्क को लगभग ना के बराबर कर देते हैं।

रागी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान होने वाले स्ट्रेस को खत्म करके बॉडी को रिलीफ देते हैं। रागी के ग्लूटेन फ्री होने की वजह से इसे ग्लूटेन सेंसिटिव कैंसर पेशेंट्स और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इश्यूज वाले पेशेंट भी काफी आराम से खा सकते हैं।

26. एनर्जी लेवल को बढ़ने के लिए रागी के फायदे

रागी में मौजूद कार्बोहाइड्रेट कॉम्प्लेक्स नेचर के होते है, जो डाइजेस्ट होने के लिए काफी समय लेते हैं। इसके साथ ही यह एनर्जी भी काफी स्लो रिलीज करते हैं, जिससे एनर्जी की सप्लाई लगातार बनी रहती है। रागी में मौजूद डाइटरी फाइबर पेट के भरे रहने की फीलिंग देता है, जिससे ओवर ईटिंग से बचा जा सकता है।

हीमोग्लोबिन के प्रोडक्शन के लिए आयरन काफी इंपोर्टेंट होता हैं, और ब्लड में हीमोग्लोबिन ही ऑक्सीजन को पूरी बॉडी में ले जाने के लिए जिम्मेदार होता है। प्रॉपर क्वांटिटी में आयरन का इंटेक एनीमिया के रिस्क को कम करता है, जिससे सेल्स तक ऑक्सीजन की सप्लाई बनी रहती हैं, और एनर्जी का प्रोडक्शन होता रहता है। रागी में मौजूद बी विटामिन की हाई कंटेंट फूड को एनर्जी में बदलने का काम करते हैं।

रागी में बॉडी के लिए जरूरी अमीनो एसिड काफी अच्छी क्वांटिटी में होते है, जो कि इससे एक अच्छा प्रोटीन सोर्स बनाते है, प्रोटीन मसल रिपेयर और ग्रोथ के लिए जरूरी होता है, जिससे एनर्जी का कंजप्शन और प्रोडक्शन होता रहता है। रागी में मौजूद मैग्नीशियम का कंटेंट भी बॉडी में एनर्जी के प्रोडक्शन और फूड के एनर्जी में कन्वर्जन के लिए जिम्मेदार होता है।

रागी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और इन्फ्लेमेशन को कम करके सेल्स को डैमेज से बचाते है, क्योंकि सेल्स से ही एनर्जी रिलीज होती है। इसके अलावा रागी के ग्लूटेन फ्री होने की वजह से यह ग्लूटेन एलर्जिक लोगों के लिए भी काफी अच्छा एनर्जी सोर्स का काम करती है।

27. प्रोटीन देता है रागी

जिस प्रकार हमारी बॉडी को कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, मिनरल, और फैट की आवश्यकता होती है उसी प्रकार प्रोटीन भी एक ऐसी चीज है जो हमारी बॉडी के लिए जरूरी मानी जाती है। प्रोटीन हमारी मसल्स को डिवेलप करती है और इंसान की बॉडी बनाती है, साथ ही हड्डियों को मजबूती भी प्रदान करती है।

रागी का आटा खाने के फायदे – Benefits of Finger Millet Flour in Hindi

रागी का आटा खाने के बहुत से हेल्थ बेनिफिट्स हो सकते हैं:

1. रागी के आटे में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, और जिंक जैसे न्यूट्रिएंट्स काफी अच्छी क्वांटिटी में होते हैं, जो बॉडी को ओवर ऑल हेल्दी रखने में काफी इंपोर्टेंस रखते हैं।

2. रागी के आटे में आयरन का कंटेंट काफी हाय क्वांटिटी में होता हैं, जो हीमोग्लोबिन के प्रोडक्शन को बढ़ाता हैं, और एनीमिया के रिस्क को कम करता है।

3. रागी के आटे में मौजूद डाइटरी फाइबर पेट को भारत रखता हैं, जिसे भूख कम लगती है। इससे ओवर और कैलोरी इनटेक भी कंट्रोल में रहता हैं, और वेट मैनेजमेंट में काफी मदद मिलती है।

4. रागी के आटे में मौजूद फाइबर डाइजेशन को अच्छा करके कब्ज और डाइजेशन से जुड़ी दूसरी समस्याओं को खत्म करने में मदद करता है। इससे आंतों की हेल्थ बनी रहती है।

5. रागी एक लो ग्लिसमिक इंडेक्स फूड ग्रेन है, और इसके आटे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है, जो बॉडी में शुगर के अब्जॉर्प्शन को धीमा करके ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने में मदद करता है।

6. रागी का आटा ग्लूटेन फ्री होता है, इस वजह से ग्लूटेन एलर्जिक लोगों के लिए भी रागी की रोटी काफी अच्छा काम कर सकती है।

7. रागी के आटे में मौजूद कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट डाइजेस्ट होने के लिए काफी समय लेते हैं। इससे बॉडी में एनर्जी भी धीरे-धीरे लेकिन लगातार रिलीज होती रहती है।

रागी की फसल कैसी होती है?

रागी को इसके अलावा सामान्य तौर पर मंडुवा नाम से भी जाना जाता है। जब मंडुवा की फसल तैयार हो जाती है तो इसकी अधिक से अधिक ऊंचाई 1 से लेकर के 2 मीटर के आसपास तक होती है और जब इस पर फल लगना चालू होते हैं तो वह फल गोल गोल दिखाई देते हैं। कभी-कभी फल गोल की जगह चपटे भी दिखाई देते हैं। रागी फसल के जो बीज होते हैं वह थोड़े से ब्राउन रंग के होते हैं और उनका आकार भी गोल गोल होता है।

अंकुरित रागी खाने के फायदे – Benefits of eating germinated Finger Millet in Hindi

1. अंकुरित रागी खाने से सामान्य रागी खान जितने ही फायदे होते है, लेकिन अंकुरित हो जाने की वजह से रागी का न्यूट्रिएंट कंटेंट कुछ मात्रा में बढ़ जाता है। नीचे कुछ अन्य फायदे बताए जा रहे है, जो सामान्य रागी के सेवन से अलग है।

2. अंकुरित रागी का डाइजेशन काफी आसानी से हो जाता हैं, और इसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स का अब्जॉर्प्शन भी काफी जल्दी हो जाता है।

3. अंकुरित रागी में डाइजेस्टिव एंजाइम्स की क्वांटिटी बढ़ जाती है, जिससे यह डाइजेशन के प्रोसेस को नॉर्मल रागी के मुकाबले काफी अच्छा कर देते हैं।

4. अंकुरित रागी में न्यूट्रिएंट्स का कंटेंट बढ़ जाने की वजह से यह इम्यून सिस्टम को हेल्दी रखने में काफी मदद करते हैं।

रागी खाने के नुकसान – Side Effects of eating Finger Millet in Hindi

1. रागी का सीमित मात्रा में सेवन करना बहुत से हेल्थ बेनिफिट्स प्रोवाइड करता है, लेकिन वही जब रागी का असीमित मात्रा में सेवन किया जाए तो या नुकसानदेह साबित हो सकता है।

2. रागी ग्लूटेन फ्री होता हैं, लेकिन कई बार खेती में यह बाजार में खरीदते समय इसमें दूसरे ग्रेंस मिल सकते हैं, जिनमे ग्लूटेन कंटेंट हो सकता है। यह ग्लूटेन सेंसिटिव लोगों के लिए काफी दिक्कतें पैदा कर सकता है।

3. रागी में कुछ मात्रा में ऑक्सलेट भी होते है, जो कि कुछ स्पेसिफिक लोगों में किडनी स्टोंस को बना सकते हैं। हालांकि ऐसा तभी मुमकिन है, जब रागी का काफी ज्यादा मात्रा में सेवन किया जाए।

4. कुछ लोगों में रागी को लेकर एलर्जिक रिएक्शंस भी हो सकते हैं, जिसमें स्किन रेडनेस, स्किन रैशेज जैसे इश्यूज बन सकते हैं।

5. रागी का ज्यादा मात्रा में सेवन करने पर ब्लोटिंग और गैस जैसे डाइजेस्टिव इश्यूज हो सकते हैं। यदि रागी का सेवन बढ़ाना है, तो उसे धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए।

6. रागी में फाइटेट्स ओर टेनिन नाम के एंटीन्यूट्रिएंट फैक्टर होते हैं, जो की बॉडी में कुछ मिनरल्स के अब्जॉर्प्शन में दिक्कतें पैदा कर सकते हैं।

7. रागी में गोइट्रोजेंस होते हैं, जो कि आयोडीन के इंटेक में दिक्कतें पैदा करके थाइरॉएड फंक्शन को इफेक्ट कर सकते हैं।

रागी से जुड़े रोचक तथ्य – Unique Facts about Finger Millet in Hindi

1. रागी को दुनिया में खेती की जाने वाली सबसे पहली फसलों में से एक माना जाता है।

2. साउथ एशियन कंट्रीज में रागी का उसे रिलिजियस सेरेमनीज और त्योहारों में होता है। साउथ एशियन कंट्रीज में रागी की कल्चरल सिगनिफिकेंस काफी ज्यादा है।

3. रागी को ड्रॉट रेजिस्टेंट क्रॉप के नाम से भी जाना जाता है। इसकी खेती हल्की बारिश वाली जगह पर भी आसानी से की जा सकती है।

4. रागी का सेवन ग्लूटेन एलर्जिक लोगों के द्वारा किया जा सकता है।

5. आयुर्वेद में रागी का बहुत से हेल्थ इश्यूज को ठीक करने के लिए जिक्र किया गया है। इसका यूज हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल जैसे इश्यूज को खत्म करने के लिए किया गया है।

रागी की तासीर – Nature of Finger Millet

आयुर्वेद और यूनानी मेडिसिंस के अनुसार किसी भी खाद्य वस्तु की तासीर उसको खाने से हमारी बॉडी के तीन दोष वात, पित्त और कफ पर पड़ने वाले असर के अनुसार होती है। किसी भी खाद्य वस्तु की तासीर उष्म यानी गर्म, शीत यानी ठंडा और साम यानी न्यूट्रल ना ज्यादा गर्म ना ज्यादा ठंड होती है। रागी को तासीर तो लेकर यह कहना बहुत ही मुश्किल हैं, की गरम या ठंडी होती है। हालांकि आयुर्वेद के अनुसार रागी में ऐसी प्रॉपर्टीज होती है, जो गर्मी में बॉडी को ठंडा रखने और ठंड में बॉडी को गर्म रखने में मदद करती है। इस वजह ऐसा कहा जा सकता है, रागी से तासीर साम हो सकती है, जिसका हमारी बॉडी पर न ज्यादा गर्म असर होता हैं, और न ही ज्यादा ठंडा। लेकिन इस बात को लेकर काफी कन्फ्यूजन है। तासीर इस इन्फॉर्मेशन से भी डिसाइड होती हैं, कि वह फूड ग्रेन की बुवाई, और कटाई कब हो रही है। आज के समय में रागी की बुवाई और कटाई लगभग पूरे साल होती है, जिससे भी रागी की तासीर के बारे में डिसाइड करना काफी मुश्किल हो जाता है।

हमे जैसे ही रागी की तासीर को लेकर एक्यूरेट इन्फॉर्मेशन मिलती है, हम उस इन्फॉर्मेशन को जल्द से जल्द अपडेट करने की कोशिश करेंगे।

रागी के दूसरे नाम – Other names of Finger Millet in Hindi

भाषाएंअन्य नाम
हिंदी/ कन्नड़/ तेलुगु/ ऊर्दू/रागी (Ragi)/ मेडुआ (Medua)
तमिलकेलवरागू (Kelvaragu)
मलयालमपंजरी (Panjari)/ रागी (Ragi)
मराठीनाचणी (Nachni)
गुजरातीबजरी (Bajri)
बंगालीमधु (Madhu)/ केचु (Kechu)
उड़ियामनसा (Mansa)
आसामीमधु (Madhu)
पंजाबीमंडुआ(Mandua)/ मेडुआ (Medua) नाचणी (Nachni)

अलग अलग स्थानों पर उच्चारण में अंतर होने की वजह से नामों में अंतर देखने को मिल सकता है।

रागी का पोषक तत्त्व – Nutritional Content of Finger Millet in Hindi

यदि कोई व्यक्ति 100 ग्राम रागी या रागी के आटे के सेवन करे, तो उसे नीचे बताई गई वैल्यू के अनुसार न्यूट्रिशन मिल सकता है।

पोषक तत्वमात्रा प्रति 100 ग्राम
कैलोरी336 किलो कैलोरी
कार्बोहाइड्रेट72.97 ग्राम
फ़ाइबर3.6 ग्राम
शुगर0.29 ग्राम
प्रोटीन7.52 ग्राम
टोटल फैट1.65 ग्राम
सैचुरेटेड फैट0.30 ग्राम
मोनोअनसैचुरेटेड फैट0.45 ग्राम
पॉलीअनसैचुरेटेड वसा0.87 ग्राम
विटामिन ए3आईयू
विटामिन बी1 (थियामिन)0.33 मिलीग्राम
विटामिन बी2 (राइबोफ्लेविन)0.11 मिलीग्राम
विटामिन बी3 (नियासिन)1.2 मिलीग्राम
विटामिन बी5 (पैंटोथेनिक एसिड)0.42 मिलीग्राम
विटामिन बी60.09 मिलीग्राम
विटामिन बी9 (फोलेट)25 माइक्रोग्राम
विटामिन ई0.47 मिलीग्राम
विटामिन के0.9 माइक्रोग्राम
कैल्शियम344 मिलीग्राम
आयरन3.9 मिलीग्राम
मैग्नीशियम137 मिलीग्राम
फॉस्फोरस284 मिलीग्राम
पोटैशियम408 मि.ग्रा
सोडियम16 मि.ग्रा
जिंक2.7 मिग्रा
पानी8.67 ग्राम
राख1.49 ग्राम

ऊपर बताई गई वैल्यू एप्रोक्सीमेट वैल्यू है। रागी को कैसे बनाया जा रहा और रागी की कौन सी प्रजाति का सेवन किया जा रहा है, उसके अनुसार यह वैल्यूज बदल सकती है।

रागी से संबंधित महत्वपूर्ण बातें – Important Things About Finger millet in Hindi

रागी को लिमिट में ही खाना चाहिए। कोई व्यक्ति अगर ज्यादा मात्रा में Ragi को खाने लगता है तो इससे उसे लीवर से संबंधित प्रॉब्लम हो सकती है।

रागी को आप किसी भी प्रकार से खा सकते हैं। आप इसकी रोटी भी बना करके खा सकते हैं, आप चाहे तो इसका हलवा भी तैयार कर सकते हैं, चाहे तो आप सतुआ के तौर पर भी इसे खा सकते हैं।

इंडिया में मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, केरल,आसाम कर्नाटक जैसे राज्य में काफी भारी मात्रा में रागी की पैदावार होती है, क्योंकि यहां पर पहाड़ी क्षेत्र अधिक होते हैं और Ragi मुख्य तौर पर पहाड़ी क्षेत्र में पाई जाती है।

कुछ सूत्रों के अनुसार हमारे भारत देश में सबसे पहली बार राखी का आगमन 4000 साल पहले हुआ था हालांकि यह कौन से राज्य में हुआ था इसके बारे में कोई इंफॉर्मेशन नहीं है।

बाजार में मिलने वाले विभिन्न प्रकार के 20 किलो का निर्माण करने में कंपनियों के द्वारा Ragi के आटे को यूज में लिया जाता है। खून की कमी होने पर व्यक्ति को एनीमिया रोग होता है और बता दें कि एनीमिया को खत्म करने में रागी आपकी सहायता कर सकता है। इसे खाने से एनीमिया बीमारी धीरे-धीरे खत्म होती है।

रागी का वैज्ञानिक नाम – Scientific Name of Finger millet in Hindi

रागी के वनस्पतिक नाम यानी कि साइंटिफिक नाम के बारे में बात करें तो इसे Eleusine coracana कहा जाता है। इंडिया का पड़ोसी देश नेपाल और भारत में हिमालय की जगह ऐसी जगह है, जहां पर रागी की खेती काफी अच्छी होती है, क्योंकि यह ऊंचे पहाड़ों पर पैदा की जाने वाली फसल है। रागी पौष्टिक तत्वो से भरपूर होता है, इसीलिए इसे खाया जाता है।

रागी का दूसरा नाम क्या है?

मंडुआ।

रागी की खासियत क्या है?

रागी ग्लूटेन फ्री होता है, जो ग्लूटेन एलर्जिक लोगों के लिए काफी अच्छा है।

उत्तराखंड में रागी को क्या कहते है?

रागी और मंदुआ/ मेडुआ।

रागी का रोजाना कितना मात्रा में सेवन करना चाहिए?

50 से 100 ग्राम।

इंडिया में रागी कहा पर उगाया जाती है?

कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र। कर्नाटक इंडिया में रागी का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है।

उत्तर प्रदेश में रागी को क्या कहते है?

उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में Ragi को कई इलाकों में मंडुवा कहकर भी संबोधित किया जाता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में आपने जाना की रागी क्या होता है? और रागी के फायदे और नुकसान? (Finger Millet in Hindi) इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद भी अगर आपके मन में Ragi ke Fayde aur Nuksan को लेकर कोई सवाल उठ रहा है तो आप नीचे Comment करके पूछ सकते हैं। हमारी विशेषज्ञ टीम आपके सभी सवालों का जवाब देगी।

अगर आपको लगता है कि इस लेख में कोई गलती है तो आप नीचे Comment करके हमसे बात कर सकते हैं, हम उसे तुरंत सुधारने की कोशिश करेंगे। अगर आपको हमारे द्वारा Finger Millet in Hindi पर दी गई जानकारी पसंद आई है और आपको इस लेख से कुछ नया सीखने को मिलता है, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें। आप इस लेख का पोस्ट लिंक ब्राउजर से कॉपी कर सोशल मीडिया पर भी साझा कर सकते हैं।

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Akanksha Shree
आकांक्षा श्री ने पटना वीमेंस कॉलेज से इंग्लिश ऑनर्स में बैचलर्स और ट्रेवल एंड टूरिज्म में सर्टिफिकेशन कोर्स किया है। इन्होंने वर्ष 2023 में अपने करियर की शुरुआत स्वास्थ्य आधारित वेब पोर्टल से की थी। अब तक इनके 50+ से भी ज्यादा आर्टिकल प्रकाशित हो चुके हैं।

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