साबूदाना क्या होता है? साबूदाना कैसे बनता है? जानिए Sabudana बनने से जुड़ी सभी जानकारी हिंदी में

आज हम जानेंगे साबूदाना कैसे बनता है पूरी जानकारी (How is Sabudana Made in Hindi) के बारे में क्योंकि जब कोई महिला या फिर पुरुष व्रत रखता है तो व्रत का समापन करने के बाद वह खाने के तौर पर कई चीजों का इस्तेमाल करते हैं। अगर महिलाओं की बात करें तो महिलाएं मुख्य तौर पर अपने व्रत को समाप्त करने के लिए आलू का इस्तेमाल करती हैं, वहीं कई महिलाएं फल फ्रूट का भी सेवन करती हैं। इसके अलावा महिलाओं में व्रत को तोड़ने के लिए साबूदाना खाने का प्रचलन भी काफी ज्यादा है।

साबूदाना दिखने में सफेद सफेद होता है और यह छोटे छोटे आकार का होता है। इसे उबालकर के या तो मीठा बना करके खाया जाता है या फिर हल्का तीखा अथवा नमकीन बनाकर के खाया जाता है। आज के इस आर्टिकल में जानेंगे कि Sabudana Kya Hota Hai, साबूदाना बनाने के लिए क्या करे, साबूदाना बनाने का तरीका, Sabudana Kaise Banta Hai, आदि की जानकारीयां पूरा डिटेल्स में जानने को मिलेगा, इसलिये इस लेख को सुरू से अंत तक जरूर पढे़ं।

साबूदाना क्या होता है? – What is Sago in Hindi

साबूदाना
Sago In Hindi

साबूदाना दिखने में छोटा-छोटा और सफेद सफेद होता है जिसे बनाने के लिए एक प्रकार की जड़ का इस्तेमाल किया जाता है जिसे साबूदाने की जड़ कहा जाता है। इसे बनाने के लिए इसे काफी अच्छी तरह से सिलबट्टे पर पीसा जाता है। कई लोग इसे पिसने के लिए अन्य तरीकों का भी इस्तेमाल करते हैं।

पीसने के बाद इस में से दूध निकल आता है‌। उसके बाद आवश्यक प्रक्रिया को करके साबूदाना प्राप्त होता है। इंडिया में साबूदाना खाना लगभग सभी लोगों को अच्छा लगता है क्योंकि यह खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है। साबूदाने को आप नमकीन और मीठे दो प्रकार के टेस्ट में खा सकते हैं। व्रत में इसका ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है खाने के लिए।

साबूदाना कैसे बनता है? – How is Sago made in Hindi

साबूदाना को वैसे तो अधिकतर लोग व्रत को समाप्त करने के बाद ही खाना पसंद करते हैं, परंतु यह खाने में इतना ज्यादा स्वादिष्ट होता है कि लोग इसे बिना व्रत रखे हुए भी खाना पसंद करते हैं। साबूदाने का इस्तेमाल करके कई प्रकार की वैरायटी खाने के लिए बनाई जाती है। जैसे साबूदाने की खिचड़ी, साबूदाने की खीर, साबूदाने की टिक्की इत्यादि।

साबूदाना हमारे स्वास्थ्य के लिए विभिन्न प्रकार से फायदेमंद होता है। जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं उन्हें साबूदाने का सेवन करना चाहिए। साबूदाना से किसी भी चीज को आप सिर्फ 5 से 10 मिनट के अंदर ही तैयार कर सकते हैं और उसे खा कर के अपनी भूख मिटा सकते हैं।‌

साबूदाना बनने की प्रक्रिया क्या है? – Process of Making Sabudana

साबूदाना आपने कभी ना कभी खाया हीं होगा परंतु क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर साबूदाना की मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस क्या है यानी कि साबूदाना कैसे बनता है। अगर नहीं जानते हैं तो हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से यही बताने वाले हैं कि साबूदाना कैसे बनता है।

1. साबूदाना बनने की प्राकृतिक प्रक्रिया

मशीनों के द्वारा जो साबूदाना क्रिएट किया जाता है उसे कंपनी विभिन्न आकार में तैयार करती है। इसके अलावा जो साबूदाना मशीनों से तैयार होता है उसमें पोषक तत्वों की कम हो जाती हैं। इसलिए अधिकतर लोग प्राकृतिक तौर पर बने हुए साबूदाने को ही ढूंढते हैं। नीचे आपको बता रहे हैं कि प्राकृतिक तौर पर साबूदाना कैसे प्राप्त होता है या फिर बनता है।

आप शायद सागो पाम नाम के पेड़ के बारे में जानते ही होंगे। यही वह पेड़ होता है जिसके तने के गूदे से साबूदाना मिलता है। देखा जाए तो यह ताड़ की प्रजाति से मिलता-जुलता हुआ ही पेड़ होता है जो कि पूर्वी अफ्रीका में काफी भारी मात्रा में मिलता है। यह पेड़ दिखने में मोटा सा होता है। इसका तना मोटा होता है और इसके बीच के हिस्से को ही सबसे पहले काटा जाता है और फिर उसमें से प्राप्त चीजों को पिस करके पाउडर बनाया जाता है।

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अब जो पाउडर बनकर तैयार होता है उसे झरने के द्वारा अच्छी तरह से साफ किया जाता है और फिर इसे पानी में डालकर के गर्म किया जाता है ताकि दाना तैयार हो सके। बता दे कि, टेपियोका रूट ही वह चीज है जिसे साबूदाना बनाने के लिए एकमात्र कच्चा माल माना जाता है।

2. साबूदाना बनने की मशीनी प्रक्रिया

बता दें कि, कोई भी चीज हमें मुख्य तौर पर दो प्रकार से प्राप्त होती है। एक तो नेचुरल तरीके से और दूसरे आर्टिफिशियल तरीके से। इस प्रकार पहले आप यह जान लें कि साबूदाना मशीनी प्रक्रिया से कैसे बनता है उसके बाद हम आपको यह बताएंगे कि साबूदाना प्राकृतिक तरीके से कैसे बनता है।

खाने में टेस्टी और उपवास में अधिकतर महिलाओं के द्वारा खाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला साबूदाना बनाने के लिए टेपियोका स्टार्च का इस्तेमाल इसे बनाने की प्रक्रिया में होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कसावा नाम की चीज का इस्तेमाल टेपियोका स्टार्च को पाने के लिए होता है।

टेपियोका स्टार्च का जो गुदा होता है उसे सबसे पहले साधनों की सहायता से निकाला जाता है और फिर बड़े बर्तनों में उसे डालकर रखा जाता है और तकरीबन उसे बड़े बर्तन में ढक कर के 11 से 12 दिन तक ऐसे ही रहने दिया जाता है।

11 से 12 दिन के दरमियान इसमें रोजाना पानी भी डाला जाता है। 11 से 12 दिन पूरा हो जाने के बाद लगातार इस प्रक्रिया को कम से कम 4 महीने से लेकर के 5 महीने तक कंटिन्यू रखा जाता है।

अब जो गुदा बनकर प्राप्त होता है उसे निकाल कर के जो बड़ी-बड़ी मशीनें होती है उसके अंदर भारी मात्रा में डाला जाता है जिसके बाद कुछ आवश्यक प्रक्रिया पूरी होती है और उसके बाद साबूदाना मिलता है।

जब साबूदाना प्राप्त हो जाता है तो उसे सुखाया जाता है और उसकी पॉलिश की जाती है और उसके बाद कंपनी अपने ब्रांड के लेवल को साबूदाने के ऊपर चिपका कर के मार्केट में बेचने के लिए भेज देती है।

साबूदाना के फायदे – Benefits of Sago

इस बात से तो आप परिचित ही होंगे कि हर चीज के फायदे अगर होते हैं तो उसके नुकसान भी कुछ ना कुछ अवश्य होते हैं। साबूदाने के फायदे के बारे में बात करें तो यह सफेद रंग का होता है और इसका आकार छोटा होता है। इसीलिए जब हम इसे खाते हैं तो इसका पाचन काफी अच्छे से हो जाता है। साबूदाना पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है। इसीलिए इसे पचाने में हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम को ज्यादा परिश्रम नहीं करना पड़ता है।

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इंडिया में लोग व्रत में साबूदाने को इसलिए ज्यादा खाते हैं क्योंकि इसमें अच्छी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट के अलावा कैल्शियम और विटामिन सी मिलता है। इसलिए दिन भर की थकान के बाद अपना व्रत तोड़ने के लिए लोग इसका सेवन करते हैं। साबूदाना खाने से हमारी बॉडी को एनर्जी प्राप्त होती है। इसके अलावा हमें थकान या फिर कमजोरी का भी एहसास नहीं होता है।

साबूदाना के नुकसान – Disadvantages of Sago

अगर साबूदाने के नुकसान के बारे में बात की जाए तो कभी-कभी यह जानलेवा भी साबित हो सकता है क्योंकि जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि इसके अंदर टेपियोका स्टार्च पाया जाता है, जो कि एक प्रकार का जहरीला तत्व होता है। अगर इसे सही प्रकार से गैस स्टॉब पर पकाया नहीं जाता है, तो यह जहर की तरह काम करता है। इसीलिए साबूदाने का सीमित मात्रा में सेवन करने के लिए ही कहा गया है।

इसका दूसरा नुकसान ऐसे लोगों के लिए हैं जो लोग मोटापे का शिकार हैं क्योंकि साबूदाने में कार्बोहाइड्रेट अच्छा पाया जाता है जो कि वजन बढ़ाने में सहायक होता है। इसलिए देखा जाए तो जिनका वजन ज्यादा है, उनके लिए साबूदाना का सेवन करना ठीक नहीं है, वही जिनका वजन कम है वह साबूदाने का सेवन कर सकते हैं।

साबूदाना शाकाहारी है या मांसाहारी? – Sago Vegetarian or Non Vegetarian in Hindi

कई लोगों के मन में यह क्वेश्चन आता रहता है कि आखिर साबूदाना शाकाहारी है या मांसाहारी है। देखिए यहां हम पक्के तौर पर तो यह नहीं कह सकते हैं कि साबूदाना शाकाहारी है अथवा मांसाहारी है परंतु एक बात जो हमने देखी है वह यह है कि जब साबूदाने को मशीनी प्रक्रिया से बनाया जाता है तो इसे बड़े-बड़े गड्ढे खोद करके इसके कच्चे माल को उस में डाला जाता है और ऊपर से इसे ढका नहीं जाता है।

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इस प्रकार कभी-कभी बहुत सारे कीड़े मकोड़े भी लाइट लगे होने के कारण इस में आकर गिर जाते हैं। इसके बाद इन्हें निकाल कर के साफ भी नहीं किया जाता है और इन्हें पीस कर के आटे की तरह कर लिया जाता है और उसके बाद साबूदाना तैयार होता है। इस प्रकार यह निर्णय लोगों के ऊपर डिपेंड करता है कि वह इसे शाकाहारी मानते हैं अथवा मांसाहारी। हालांकि कुछ कंपनियां ऐसी भी है जहां पर अब एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके इसका निर्माण किया जाता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में आपने जाना की साबूदाना क्या होता है? और साबूदाना कैसे बनता है? (How is Sabudana made in Hindi) इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद भी अगर आपके मन में Sabudana Kaise Banta Hai को लेकर कोई सवाल उठ रहा है तो आप नीचे Comment करके पूछ सकते हैं। हमारी विशेषज्ञ टीम आपके सभी सवालों का जवाब देगी। अगर आपको लगता है कि इस लेख में कोई गलती है तो आप नीचे Comment करके हमसे बात कर सकते हैं, हम उसे तुरंत सुधारने की कोशिश करेंगे।

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Akanksha Shree
आकांक्षा श्री ने पटना वीमेंस कॉलेज से इंग्लिश ऑनर्स में बैचलर्स और ट्रेवल एंड टूरिज्म में सर्टिफिकेशन कोर्स किया है। इन्होंने वर्ष 2023 में अपने करियर की शुरुआत स्वास्थ्य आधारित वेब पोर्टल से की थी। अब तक इनके 50+ से भी ज्यादा आर्टिकल प्रकाशित हो चुके हैं।

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